ऋणदाताओं, ग्राहकों के साथ समान व्यवहार हो: भारतीय स्टेट बैंक

Tuesday, Aug 29, 2017 - 02:13 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने ऋण शोधन और दिवाला कानून के तहत ऋण दाताओं और आवास के ग्राहकों के साथ समान व्यवहार पर बल देते हुए आज कहा कि ग्राहकों के अधिकारों की अवहेलना नहीं की जा सकती। नेशनल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नरेडको) के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए बैंक के प्रबंध निदेशक (राष्ट्रीय बैंकिंग समूह) रजनीश कुमार ने कहा कि नए रीयल एस्टेट नियमन कानून रेरा को इस साल मई से लागू किए जाने के बाद बैंकों और घर खरीदने वालों का जोखिम कम हो गया है।

उन्होंने घर खरीदने वालों को केवल पूरी तरह तैयार हो चुके घर खरीदने की सलाह दी क्योंकि निर्माणाधीन परियोजनाओं में निवेश करना उतना आकर्षक नहीं रह गया है। पिछले कुछ सालों में रीयल्टी क्षेत्र में मांग की कमी से अब निर्माणाधीन परियोजनाओं में कीमत का लाभ भी उतना नहीं मिलता है। अटकी पड़ी परियोजनाओं में खरीदारों के अधिकारों की अवहेलना नहीं किए जाने की वकालत करते हुए कुमार ने कहा कि घर खरीदारों और ऋणदाताओं को ‘एक ही पायदान’ पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किन्हीं परियोजनाओं में कोई नुकसान होता है तो घर खरीदारों और ऋणदाताओं को इसे समान रुप से वहन करना चाहिए।

हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) करेगा। कुमार की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पिछले महीने 526 करोड़ रुपये के ऋण चूक मामले में आईडीबीआई बैंक द्वारा जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ ऋणशोधन प्रक्रिया शुरु करने की दायर याचिका को एनसीएलटी स्वीकार कर चुकी है। ठीक इसी तरह की कार्रवाई आम्रपाली के खिलाफ शुरु करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी एनसीएलटी से संपर्क किया है। कार्यक्रम से इतर कुमार ने कहा कि एन.सी.एल.टी. अंतिम निर्णय लेगी। ऋण शोधन कानून अभी परिपक्व हो रहा है।

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