सात प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 14 फीसदी बढ़ी

Wednesday, Oct 02, 2019 - 01:19 PM (IST)

नई दिल्लीः चालू कैलेंडर वर्ष के पहले नौ महीनों (जनवरी-सितंबर) में घरों की बिक्री 14 फीसदी बढ़ी है। जेएलएल द्वारा मंगलवार को जारी भारतीय रियल एस्टेट बाजार के बारे में 2019 की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के बाद 2018 में आवास बाजा की स्थिति कुछ सुधरी थी। चालू साल के पहले नौ माह में शीर्ष सात रियल एस्टेट बाजारों में घरों की बिक्री सुधरी है लेकिन यह नोटंबदी पूर्व के स्तर पर नहीं पहुंच पाई है। हालांकि इस दौरान कार्यालय स्थल की मांग में 40 फीसदी का उछाल देखने को मिला।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान घरों की बिक्री नोटबंदी से पूर्व के दौर के स्तर को नहीं छू पाई। उस समय शीर्ष सात बाजारों में लगभग 1,20,000 आवासीय इकाइयों की बिक्री हुई थी। इसकी तुलना में इस साल जनवरी-सितंबर की अवधि के दौरान देश के प्रमुख सात बाजारों में 1,15,000 इकाइयों की बिक्री दर्ज की गई है। मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर का कुल बिक्री में 60 फीसदी हिस्सा रहा। 2019 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान, बिक्री की गति 2018 की इसी अवधि की तुलना में समान रही। तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर नए परियोजनाओं ककी शुरुआत में चार फीसदी की गिरावट आई। कुल नई शुरू परियोजनाओं में मुंबई और बेंगलुरु का हिस्सा 60 फीसदी रहा। शीर्ष सात शहरों में दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे और कोलकाता शामिल हैं।

रिपोर्ट को पेश करने के मौके पर जेएलएल इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कंट्री प्रमुख रमेश नायर ने कहा, “2018 में घरों की बिक्री में देखी गई बढ़त 2019 के दौरान भी कायम है। डेवलपर पहले से शुरू परियोजनाओं की समय पर आपूर्ति करने पर ध्यान दे रहे हैं। इसके अलावा वे अपने बिक नहीं सके घरों को बेचने की कोशिश कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में जो कटौती की है उसका पूरा लाभ ग्राहकों को अभी नहीं मिल पाया है। बैंक धीरे-धीरे ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं और नया कर्ज दे रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि त्योहारी सीजन में रियल एस्टेट क्षेत्र अच्छी बिक्री दर्ज करेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेवलपर्स ने मध्य और किफायती खंडों पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा है। 

Supreet Kaur

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