रुपए की मजबूती से कम हई भारतीय रूई की मांग

Monday, Apr 17, 2017 - 12:15 PM (IST)

जैतोः भारतीय कपास निगम (सी.सी.आई.) के अनुसार देश के विभिन्न कपास उत्पादक राज्यों की मंडियों में 7 अप्रैल तक 2,78,30 करोड़ गांठ व्हाइट गोल्ड की पहुंची हैं जबकि गत वर्ष इस अवधि के दौरान 2,64,79,000 गांठ व्हाइट गोल्ड की आई थीं। इस बीच कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश में चालू कपास सीजन के दौरान 3,40,50,000 गांठ व्हाइट गोल्ड का उत्पादन होगा जबकि गत वर्ष यह उत्पादन 3,37,75,000 गांठ का हुआ था। सी.ए.आई. के मुताबिक इस सत्र के दौरान पंजाब में 9.50 लाख गांठ, हरियाणा 20.50 लाख, अपर राजस्थान 7.25 लाख व लोअर राजस्थान में 10.25 लाख गांठ व्हाइट गोल्ड उत्पादन का अनुमान जताया है। 

बाजार जानकार सूत्रों के अनुसार अब बाजार में रूई निर्यातक ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रहा है क्योंकि यू.एस. डॉलर की तुलना में रुपया मजबूत होने से भारतीय रूई अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उसकी मांग कम हो गई है। स्पिनिंग मिलें तात्कालिक जरूरत के लिए रूई कम मात्रा में कवर कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार देश की बहुत-सी स्पिनिंग मिलों ने मई से जुलाई की अपनी खपत के लिए आयातित रूई की बुकिंग की है। माना जाता है कि विदेशी रूई सस्ती पड़ती है। स्पिनिंग मिल्ज कलर क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड बावल (रिवाड़ी) के सी.पी.ओ. रणधीर के अनुसार देश में रूई की कोई कमी नहीं है। अधिकतर कपास जिनर तेजी में होने से देश में लगभग 62 से 65 लाख गांठ कपास अनसोल्ड स्टॉक है जिसमें मल्टीनैशनल कम्पनियों का स्टॉक भी शामिल है। रणधीर के मुताबिक इस बार कपास का बहुत अच्छा भाव होने से किसानों का रुझान कपास की बुआई की तरफ देखने को मिला है। आगामी कपास सत्र के दौरान उत्तरी जोन में रिकार्ड कपास उत्पादन होगा। 

बाजार जानकार सूत्रों के मुताबिक कपास जिनर व स्टॉकिस्टों (तेजडिय़ों) को बड़ी उम्मीद थी कि रूई बहुत जल्द 5000-6000 रुपए मन का आसमान पर झंडा गाड़ेगी लेकिन तेजडिय़ों का सपना उस वक्त टूट गया जब गत सप्ताह रूई 4865 व 4790 रुपए मन से औंधे मुंह आ गिरी। तेजडिय़ों की हालत तो यह बनी हुई है फिसल गए तो हर-हर गंगे बोल दिया। सूत्रों के अनुसार रूई स्टॉकिस्टों के मन में तेजी अब नरम पडऩे लगी है क्योंकि स्टॉकिस्ट रूई बेचने लगे हैं। अधिकतर कताई मिलरों ने बाजार से मुंह फेर रखा है।

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