2024 में डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, 2025 को लेकर ये हैं उम्मीदें
punjabkesari.in Monday, Dec 30, 2024 - 02:24 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः 2024 में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर रहा है। इस वर्ष रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तीन प्रतिशत गिरकर 85.59 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गया है, जबकि जनवरी 1, 2024 को यह 83.19 प्रति डॉलर पर था। भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती और वैश्विक बाजारों में डॉलर की मजबूती के कारण यह गिरावट आई। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि 2025 में रुपए की स्थिति में सुधार हो सकता है। इस साल डॉलर में सुधार का असर उभरते बाजारों की मुद्राओं पर पड़ा है लेकिन भारतीय रुपए का उतार-चढ़ाव अन्य मुद्राओं के मुकाबले अपेक्षाकृत कम रहा है।
रुपए में कमजोरी का कारण
रुपए में गिरावट का एक बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में संकट, और लाल सागर के जरिये व्यापार में अड़चनों के अलावा वैश्विक चुनावों का असर रहा है। इन घटनाओं ने रुपए की धारणा को प्रभावित किया और पूरी दुनिया में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की विनिमय दरों पर भी इसका प्रभाव पड़ा। हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के बावजूद, भारतीय रुपए की स्थिति अन्य मुद्राओं के मुकाबले कम अस्थिर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने दिसंबर 2024 में कहा था कि भारतीय रुपए में अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में कम अस्थिरता रही है।
पिछले दो महीने में तेज गिरावट
पिछले दो महीनों में रुपए में डॉलर के मुकाबले दो रुपए की रिकॉर्ड गिरावट आई है। अक्टूबर में रुपए ने 84 प्रति डॉलर का महत्वपूर्ण स्तर पार किया और 19 दिसंबर तक यह 85.59 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया। 27 दिसंबर को रुपया 85.80 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर तक गिरा। हालांकि, अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपए में कुछ सुधार हुआ है। खासकर, येन के मुकाबले रुपए 8.7% और यूरो के मुकाबले 5% मजबूत हुआ है।
RBI की सक्रिय कोशिशें
आरबीआई रुपए को स्थिर करने के लिए सक्रिय प्रयास कर रहा है। भारत की कच्चे तेल पर निर्भरता और बढ़ते व्यापार घाटे के कारण अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है, जिससे रुपए पर दबाव बना। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ रही है, जो इसके एक संकेत है। सितंबर 2024 के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.89 अरब डॉलर था, जो 20 दिसंबर 2024 तक घटकर 644.39 अरब डॉलर रह गया।
चीन की धीमी अर्थव्यवस्था का असर
चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती और उसकी धीमी जीडीपी वृद्धि ने भारतीय निर्यात की मांग को कम किया है। इसके अलावा, पश्चिम एशिया के संकट और लाल सागर संकट ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित किया, जिससे भारत के व्यापार संतुलन पर असर पड़ा है।