पैट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने तोड़ी कमर, सब्जियों के दाम आसमान पर

Tuesday, Aug 21, 2018 - 10:12 AM (IST)

नई दिल्लीः पैट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर उसकी खपत पर भी दिखने लगा है। पिछले साढ़े 3 माह में पैट्रोल और डीजल के मूल्य में औसतन पौने 3 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। इसके चलते पैट्रोल-डीजल सहित सभी पैट्रोलियम पदार्थों की खपत में भारी कमी आई है। एल.पी.जी. की खपत भी कम हुई है।

पैट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक पिछले 3 माह में पैट्रोल की खपत में 1.43 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है। इसी तरह डीजल की खपत भी 1 मई से 31 जुलाई तक 1.40 लाख मीट्रिक टन कम हुई है। दूसरे पैट्रोलियम पदार्थों की खपत में भी कमी आई है। पैट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पी.पी.ए.सी.) के आंकड़ों के मुताबिक मई में पूरे देश में 2457 हजार मीट्रिक टन पैट्रोल की खपत हुई थी जबकि जून में यह खपत घटकर 2378 हजार मीट्रिक टन और जुलाई में 2314 हजार मीट्रिक टन रह गई। इसी तरह डीजल की खपत भी मई में 7550 हजार मीट्रिक टन थी जबकि जून में 7326 हजार मीट्रिक टन और जुलाई में 6610 हजार मीट्रिक टन रह गई। हालांकि सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स के आंकड़े बताते हैं कि वाहनों की खरीद 16 प्रतिशत बढ़ी है।

महंगाई का भी असर
ऑल इंडिया पैट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल का कहना है कि ईंधन की खपत पर महंगाई की भी मार पड़ी है। महंगाई के चलते लोगों की आवाजाही में कमी आई है। इससे पैट्रोल-डीजल की खपत घट गई। बावजूद इसके ईंधन की खपत में कमी की बड़ी वजह कीमतों में वृद्धि है। पैट्रोल के मुकाबले सी.एन.जी. के दाम घटे हैं और कारोबार भी कम हुआ है जिससे माल ढुलाई में कमी आई है।

पिछले साल हुई ज्यादा खपत
पैट्रोल की खपत में वर्ष 2017-18 में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी जबकि डीजल की खपत 6.6 प्रतिशत बढ़ी थी। पैट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सी.एन.जी. की खपत भी बढ़ी है। यह भी पैट्रोल की मांग कम होने की एक बड़ी वजह है। हालांकि उनका मानना है कि आने वाले दिनों में पैट्रोलियम की मांग बढ़ेगी।

सब्जियों के दाम आसमान पर
बरसात ने बेशक गर्मी से राहत दे दी हो लेकिन गृहणियों के रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। हरी सब्जियों के भाव आसमान पर पहुंच गए हैं। गरीब की थाली से चटनी तक दूर होने लगी है। दरअसल हरी मिर्च तक के दाम में दोगुने तक का उछाल आया है। फिलहाल महंगी सब्जियों की वजह है कि पहाड़ी क्षेत्रों से माल सप्लाई प्रभावित हो रही है। पुदीने से लेकर धनिया, टमाटर और हरी मिर्च के अलावा अन्य खाद्य सामग्री का उपयोग करेंगे तो चटनी थाली तक पहुंचने में भी सब्जियों से भी महंगी साबित होगी। हरे धनिए की बात करें तो 200 रुपए तक इसके भाव पहुंच गए हैं। 

Supreet Kaur

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