पिता के आरोपों का खंडन करते हुए रेमंड के चेयरमैन ने दिया अहम बयान

Tuesday, Aug 29, 2017 - 12:04 PM (IST)

मुंबई: रेमंड ग्रुप के मालिक रहे विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे गौतम सिंघानिया पर आरोप लगाया था कि उसने उन्हें पैसे-पैसे के लिए मोहताज कर दिया है और उन्हें मजबूरन अपना घर भी छोड़ना पड़ा। गौतम सिंघानिया ने अपने पिता के बयान को गलत बताते हुए कहा कि मुझे लगता है कि मैं सही हूं और जिस प्रॉपर्टी के लिए मैं लड़ रहा हूं उस पर मेरा हक है। उनके पिता ने कहा था कि उन्होंने 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य के बराबर कंपनी का 37 फीसदी हिस्सा बेटे को सौंपकर बहुत बड़ी गलती की है।

कंपनी के शेयरधारकों का हित परिवार से ऊपर
गौतम सिंघानिया ने अपने बयान में कहा कि मैंने 35 साल कंपनी को सफलतापूर्वक चलाया और दिन में 16 घंटे काम किया। उन्होंने कहा अगर वह यह हिस्सा किसी और को देते तो 35 हजार कर्मचारियों का क्या होता जो कंपनी में इतने सालों से काम कर रहे हैं। वे मानते हैं कि रेमंड कंपनी के चेयरमैन और विजयपत के पुत्र के बतौर उनकी जिम्मेदारियां और भूमिकाएं अलग-अलग हैं। उनका कहना है कि कंपनी के शेयरधारकों के हित परिवार के हित से बड़े हैं।

क्या है पूरा मामला
पूरा विवाद जेके हाउस को लेकर है। यह बिल्डिंग 1960 में बनी थी और तब 14 मंजिला थी। बाद में बिल्डिंग के 4 ड्यूप्लेक्स रेमंड की सब्सिडरी पश्मीना होल्डिंग्स को दिए गए। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि सिंघानिया ने कंपनी में अपने सारे शेयर फरवरी 2015 में बेटे के हिस्से में दे दिए थे। रिपोर्टों के मुताबिक, इन शेयर्स की कीमत करीब 1000 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। उनसे गाड़ी व ड्राइवर भी छीन लिए गए हैं। दुनियाभर में सूटिंग और शर्टिंग के लिए मशहूर रेमंड की नींव 1925 में रखी गई थी। इसका पहला रिटेल शोरूम 1958 में मुंबई में खुला था। विजयपत ने कंपनी की कमान 1980 में संभाली थी।

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