कैग की रिपोर्ट में खुलासा, FSSAI ने बिना पूरे दस्तावेज जारी किए लाइसैंस

Wednesday, Dec 20, 2017 - 09:47 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी एक रिपोर्ट में देश के खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफ.एस.एस.ए.आई.) की लाइसैंस प्रक्रिया और खराब अवस्था वाली उसकी खाद्य जांच प्रयोगशालाओं पर सवाल उठाए हैं। अपनी खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 अनुपालन प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने खुलासा किया कि एफ.एस.एस.ए.आई. देश में असुरक्षित खाद्य पदार्थों के आयात को रोकने में भी नाकाम रहा है। कैग के अनुसार एफ.एस.एस.ए.आई. ने खाद्य कारोबार करने वालों से पूरे आवश्यक दस्तावेज लिए बिना ही लाइसैंस जारी किए।

3119 मामलों में दस्तावेज अपूर्ण
कैग ने कहा कि खाद्य कारोबार करने वालों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में दस्तावेज अपूर्ण हैं और इसके बावजूद उन्हें लाइसैंस जारी किया गया है। 5 राज्य स्तरीय लाइसैंस प्राधिकरण और 3 केंद्रीय लाइसैंस प्राधिकरणों द्वारा बांटे गए 5915 लाइसैंसों की जांच में उसने पाया कि 3119 मामलों में दस्तावेज अपूर्ण थे। कैग ने यह भी देखा कि उसकी राज्य स्तरीय 72 प्रयोगशालाओं में से 65 को नैशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टैसटिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (एन.ए.बी.एल.) से मान्यता नहीं मिली है। इतना ही नहीं, एफ.एस.एस.ए.आई. की 16 प्रयोगशालाओं में से 15 में योग्य खाद्य विश्लेषक नहीं हैं।

आयकर विभाग की भी की खिंचाई 
देश के शीर्ष लेखापरीक्षक कैग ने फर्जी चंदे और मनगढ़ंत खरीदारी के मामलों से निपटने के लिए एकसमान प्रक्रिया नहीं अपनाने के लिए आयकर विभाग की खिंचाई की है। उसने कहा है कि इससे राजस्व का भारी नुक्सान हो रहा है। उसने सेवा कर बकाया की वसूली कम रहने को लेकर भी राजस्व विभाग को आड़े हाथों लिया। कैग ने कहा, ‘‘आयकर विभाग के आकलन अधिकारी ने अपने जांच विंग की रिपोर्ट पर संज्ञान नहीं लिया और नकली चंदे अथवा फर्जी खरीद में खर्च की गई राशि को वापस लेने जैसे मामलों में जरूरी कार्रवाई शुरू करने में विभाग असफल रहा है। इसके परिणामस्वरूप काफी राजस्व का नुक्सान हुआ।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आकलन अधिकारी फर्जी लेनदेन पर खर्च राशि की अनुमति देने अथवा उससे निरस्त करने के मामले में विवेकानुसार मनमाने तरीके से फैसला करते रहे जिसका अधिकार उन्हें नहीं है।

टाटा टैली, रिलायंस जियो व 3 अन्य ने कारोबार कम करके दिखाया
कैग ने कहा कि टाटा टैलीसर्विसेज, रिलायंस जियो व वीडियोकॉन सहित 5 दूरसंचार कंपनियों ने अपने कारोबार को लगभग 14,800 करोड़ रुपए कम दिखाया जिससे सरकारी खजाने को करीब 2578 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। कैग ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस गड़बड़ी के कारण सरकार को लाइसैंस शुल्क मद में 1015.17 करोड़ रुपए, स्पैक्ट्रम उपयोग शुल्क में 511.53 करोड़ व भुगतान में देरी पर ब्याज मद में 1052.13 करोड़ रुपए का कम भुगतान किया गया। इन 5 कंपनियों में टाटा टैलीसर्विसेज, टैलीनॉर, वीडियोकॉन टैलीकॉम, क्वाड्रैंट वीडियोकॉन समूह की कंपनी व रिलायंस जियो हैं।  
 

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