दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात पर पुनर्विचार, भारत-जापान समझौते की नई शर्तों पर मंथन

punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 01:18 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार जापान के साथ 2012 में हुए दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात समझौते की शर्तों पर नए सिरे से विचार कर रही है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब घरेलू उद्योगों को चीन से मैग्नेट की आपूर्ति में रुकावट के चलते कच्चे माल की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

समझौते के तहत, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई IREL इंडिया लिमिटेड जापान की टोयोटा त्सुशो को दुर्लभ खनिज ऑक्साइड निर्यात करती है, जिसे बाद में परिष्कृत कर मैग्नेट के रूप में जापान को आपूर्ति किया जाता है। इन मैग्नेट का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, एयरोस्पेस और रक्षा उपकरणों में होता है।

सूत्रों के मुताबिक, अब भारत इस समझौते को अधिक संतुलित और पारस्परिक लाभकारी बनाना चाहता है। सरकार से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “हमने सालों से निर्यात किया है, लेकिन बदले में कुछ खास नहीं मिला। अब हमारी मांग है कि अगर जापान हमारे दुर्लभ खनिज ले रहा है, तो वह बदले में हमें मैग्नेट की आपूर्ति करे या तकनीक साझा करे।”

घरेलू उद्योगों की मांग और रणनीतिक दबाव

वाहन उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत मैग्नेट उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है और हमारी लगभग 30-40% जरूरतें आयात से पूरी होती हैं। जापान इस मामले में हम पर निर्भर है, इसलिए हमें एक ऐसी साझेदारी चाहिए जिसमें तकनीकी सहयोग और स्थानीय उत्पादन दोनों शामिल हों।”

भारत सरकार की योजना है कि जापान के साथ मिलकर मैग्नेट निर्माण का संयुक्त ढांचा तैयार किया जाए। प्रस्ताव यह भी है कि जापान कुछ मैग्नेट खुद बनाए और शेष का उत्पादन भारत में किया जाए।

भविष्य की संभावनाएं और उत्पादन क्षमता

भारत में दुर्लभ खनिजों का मुख्य स्रोत मोनाजाइट रेत है, जो आंध्र प्रदेश, केरल, ओडिशा और तमिलनाडु में पाई जाती है। विशेष रूप से केरल की रेत अत्यधिक समृद्ध मानी जाती है। मोनाजाइट में नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम जैसे खनिज मौजूद होते हैं, जो उच्च गुणवत्ता के मैग्नेट के लिए जरूरी हैं।

फिलहाल भारत का वार्षिक मोनाजाइट उत्पादन लगभग 5,000 टन है, जबकि IREL की परिष्कृत करने की क्षमता 10,000 टन तक है। सरकार ने 2032 तक इस क्षमता को 5 करोड़ टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

जापान की प्रतिक्रिया

जापानी दूतावास के एक अधिकारी ने इस विषय पर कहा, “हम भारत से कच्चा माल आयात कर उसे परिष्कृत करते हैं और मैग्नेट बनाते हैं। हम भारत को भी मैग्नेट निर्यात करते हैं, हालांकि मात्रा अभी सीमित है। यह विषय हमारी सरकार के साथ विचाराधीन है।”

संभावित समझौता: भारत के लिए रणनीतिक अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास अब रणनीतिक बढ़त है क्योंकि जापान के पास दुर्लभ खनिजों का अपना स्रोत नहीं है। अगर भारत समझदारी से बातचीत करता है, तो यह देश के लिए तकनीकी सहयोग, स्थानीय उत्पादन और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख स्थान पाने का अवसर हो सकता है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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