रिटेल ई-कॉमर्स निर्यात को उद्योग का दर्जा मिले: फिक्की

Tuesday, May 30, 2017 - 05:16 PM (IST)

नई दिल्लीः वैश्विक स्तर ई कॉमर्स में आ रही तेजी के मद्देनजर भारत में भी रिटेल ई कॉमर्स निर्यात को दर्जा दिए जाने की वकालत करते हुए कहा गया है कि यदि यह दर्जा मिल जाता है तो इसका वार्षिक कारोबार 26 अरब डॉलर तक हो सकता है।

भारतीय निर्यात के लिए अपार संभावनाएं
फिक्की सी.एम.एस.एम.ई.-आई.आई.एफ.टी. की आज यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन तरीके से भारतीय निर्यात के लिए अपार संभावनाएं हैं लेकिन अभी नीतिगत माहौल न होने की वजह से पूरा दोहन नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ऑफलाइन से ऑनलाइन निर्यात के इस आमूलचूल बदलाव से न केवल भारतीय नीति निर्मातओं के लिए बल्कि एम.एस.एम.ई. के लिए भी आगे चुनौती खड़ी होगी। इसलिए इसमें सरकार से भारत की विदेश व्यापार नीति (एफ.टी.पी. 2015-20) के तहत मौजूदा व्यापारिक निर्यात योजना (एम.ई.आई.एस.) नीति में बदलाव करने और भारतीय एम.एस.एम.ई. को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की तरफ जाने के लिए प्रेरित करने की रणनीति अपनाने के सुझाव दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि ई-कॉमर्स पिछले पांच साल में काफी लोकप्रिय हुआ है।

B2c में भारत का 9वां स्थान
ई-कॉमर्स फाउंडेशन की ग्लोबल बिजनेस टु कंज्यूमर्स (बी2सी) ई-कॉमर्स रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री में सबसे ज्यादा हिस्सा चीन का था, इसके बाद अमरीका और फिर ब्रिटेन का नंबर था। विकसित देशों में ऑनलाइन खुदरा कारोबार एक आम बात हो चुकी है और वहां के कुल खुदरा लेन-देन में इसका 10 से 13 फीसदी हिस्सा होता है। हालांकि, भारत में बी2सी ई-कॉमर्स बिक्री 25.5 अरब डॉलर की है, जिससे दुनिया में इसका नौवां स्थान है और इसके बाद दसवें स्थान पर रूस है, लेकिन भारत के कुल खुदरा कारोबार में भारतीय ऑनलाइन रिटेल का हिस्सा एक फीसदी से भी कम है। नीतिगत उपायों से ई-कॉमर्स (बी2सी) द्वारा निर्यात मौजूदा 50 करोड़ डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 तक दो अरब डॉलर तक पहुंच सकता है जो भारत के खुदरा निर्यात का करीब 10 फीसदी होगा। 
 

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