रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मौद्रिक नीति पर चर्चा शुरू की

Monday, Apr 05, 2021 - 04:57 PM (IST)

मुंबईः रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सोमवार को अगली मौद्रिक समीक्षा पर चर्चा शुरू कर दी। कोविड-19 संक्रमण के मामलों में अचानक आई तेजी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक का परिणाम सात अप्रैल को सामने आएगा। सरकार ने केंद्रीय बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। इन घटनाक्रमों के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रख सकता है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि एमपीसी द्वारा अपने नरम नीतिगत रुख को जारी रखे जाने की उम्मीद है। इस समय रेपो दर चार प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर है। सरकार ने पिछले महीने ही रिजर्व बैंक को अगले और पांच साल के लिए, यानी मार्च, 2026 तक खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत की घटबढ के दायरे के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य दिया है यानी मुद्रास्फीति कम से कम दो प्रतिशत और अधिकतम छह प्रतिशत तक जा सकती है लेकिन सामान्य तौर पर इसे चार प्रतिशत के आसपास रखने को कहा गया है। 

ब्रिकवर्क रेटिंग्स (बीडब्ल्यूआर) के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने तथा इसके प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए ताजा अंकुशों के मद्देनजर रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा में नरम मौद्रिक रुख को जारी रख सकता है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर को देखते हुए एमपीसी द्वारा सतर्क रुख अपनाया जा सकता है और रेपो दर को चार प्रतिशत पर यथावत रखा जा सकता है। इस बीच, कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जी मुरलीधर ने कहा कि 2021 में टीकाकरण को लेकर उम्मीदों के बीच वैश्विक स्तर पर बांड प्रतिफल बढ़ा है। हालांकि, कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच भारत के लिए स्थिति इस समय अलग है। एमपीसी मुद्रास्फीति के रुख तथा महामारी की दूसरी लहर के बीच बांड पर प्रतिफल के रुख के व्यवस्थित होने पर जोर देगी। 

jyoti choudhary

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