रेपो दर में 0.25% की और वृद्धि कर सकता है रिजर्व बैंक

punjabkesari.in Sunday, Apr 02, 2023 - 03:54 PM (IST)

मुंबईः खुदरा मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बने रहने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत कई केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रुख के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी अगले सप्ताह पेश होने वाली मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की एक और वृद्धि का फैसला कर सकता है। यह मई, 2022 से शुरू हुए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चक्र में संभवत: आखिरी वृद्धि होगी। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक समीक्षा बैठक तीन अप्रैल से शुरू होने वाली है। तीन दिन तक चलने वाली यह बैठक छह अप्रैल को नीतिगत दर संबंधी फैसले के साथ खत्म होगी। 

मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 से लगातार नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का रुख अपनाया हुआ है। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है। गत फरवरी में संपन्न पिछली एमपीसी बैठक में भी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। एमपीसी की बैठक में मौद्रिक नीति से जुड़े तमाम घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पहलुओं की व्यापक समीक्षा के बाद कोई फैसला लिया जाएगा। इस दौरान उच्च खुदरा मुद्रास्फीति की स्थिति और विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों- अमेरिकी फेडरल रिजर्व, यूरोपीय केंद्रीय बैंक एवं बैंक ऑफ इंग्लैंड के हालिया कदमों का भी गहन विश्लेषण किया जाएगा। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 प्रतिशत और फरवरी में 6.44 प्रतिशत पर रही है। खुदरा मुद्रास्फीति का यह स्तर आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अधिक है। 

एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने हाल ही में कहा, ‘‘मैं दरों में एक और अंतिम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद करता हूं।'' बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘पिछले दो माह से मुद्रास्फीति के छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने और तरलता के भी अब लगभग तटस्थ हो जाने के बाद ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई एक बार फिर रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है। इसके साथ ही आरबीआई अपने रुख को तटस्थ घोषित कर यह संकेत भी दे सकता है कि दरों में वृद्धि का दौर खत्म हो चुका है।'' कुल मिलाकर समूचे वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई कुल छह एमपीसी बैठकों का आयोजन करेगा। केंद्र सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रहे। 


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Content Writer

jyoti choudhary

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