दालों की कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट
Wednesday, Jan 10, 2018 - 02:48 PM (IST)
नई दिल्लीः पिछले कई वर्षों के इतिहास में पहली बार दालों के दाम में रिकॉर्ड गिरावट आई है। थोक बाजार में प्रमुख दालों के दामों में 25 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इससे कारोबारी बेहद परेशान हैं साथ ही किसानों को भी चिंता सता रही है। किसानों की चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि जल्द ही बाजार में नई फसल आने वाली है। एेसे में उनको फसल की सही कीमत मिलना काफी मुश्किल हो सकता है। पिछले 2 सालों में दालों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि यह आम आदमी की थाली से लगभग गायब ही हो गईं थी। लेकिन बेहद ही हैरानीजनक ढंग से पिछले 2 महीनों के दौरान दालों के मुल्य में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
कितने गिरे दाम
जानकारी के अनुसार चने का मुल्य 50.51 रुपए प्रति किलो पर आ गया है जो 2 महीने पहले 75 रुपए था। इसे तरह सफेद चने 125 रुपए से गिरकर 85 रुपए, मसूर की दाल 78.79 रुपए से 51 रुपए प्रति किलो और मांह की दाल 80 रुपए से 52.53 रुपए प्रति किलो पर आ गई है। मूंग धूली दाल के दाम 65 रुपए प्रति किलो पर आ गए हैं जो 2 महीने पहले 85 रुपए प्रति किलो पर बिक रही थी। काले चने 50.51 रुपए पर बिक रहे थे जो पहले 85 रुपए प्रति किलो थे। इसी तरह राजमांह 88 प्रति किलो और अरहर 55 रुपए प्रति किलो पर आ गए हैं। हालांकि दालों के दाम थोक बाजार में बेशक 25 फीसदी से ज्यादा गिर गए हैं लेकिन आम आदमी को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
दाल | 2 महीने पहले के दाम (प्रति किलो) | मौजूदा दाम |
चने | 75 | 50-51 |
सफेद चने | 125 | 85 |
मसूर | 78-79 | 51 |
मांह की दाल | 80 | 52-53 |
मूंग धूली दाल | 85 | 65 |
अरहर | 80 | 55 |
काले चने | 85 | 50-51 |
राजमांह | 117 | 88 |
कीमतों में गिरावट का कारण
पिछले साल दालों का रिकॉर्ड 2 करोड़ 30 लाख टन उत्पादन हुआ था। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालों के दाम कम होने से इंपोर्ट भी होता रहा। फरवरी में दाल की नई फसल आने वाली है। इसलिए कारोबारियों ने पहला स्टॉक निकाल दिया है क्योंकि नई फसल आने से कीमतें और गिरने की आशंका है।
सरकार ने लगाया आयात शुल्क
सरकार ने दालों के दाम में गिरावट को रोकने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इसी के तहत कुछ दिन पहले सरकार ने चना और मसूर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है। ऐसा रबी सीजन में बेहतर फसल के अनुमान के चलते किसानों के हितों के सुरक्षा के लिए किया गया है। आयात शुल्क बढ़ने से बाहर से दालों की खरीद कम हो जाएगी, जिस कारण बाजार में किसानों को सही दाम मिलेगा।