नए लेखा मानकों से पड़ी रियल्टी कंपनियों की हैसियत पर चोट

Saturday, Aug 25, 2018 - 11:17 AM (IST)

नई दिल्लीः अप्रैल में भारतीय लेखा मानक (इंडएएस 115) लागू होने के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र की नौ सूचीबद्ध कंपनियों की हैसियत में 18 फीसदी की कमी आई है। एक अध्ययन में ये बातें कही गई है। इंडएएस 115 लागू होने के बाद रियल एस्टेट कंपनियों को अपनी हैसियत का आकलन दोबारा करना पड़ा। इस व्यवस्था के तहत उन्हें पूर्ण परियोजना वाले तरीके लागू करने पड़े जबकि पहले परियोजना पूरा होने के प्रतिशत वाला तरीका इस्तेमाल किया जाता था।

रेटिंग फर्म इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा, कंपनियों को उन परियोजनाओं के लाभ को गणना से हटाना पड़ा जो 1 अप्रैल तक पूरे नहीं हुए थे। इस मानक को लागू करने के संचयी प्रभाव को रिटेन्ड अर्निंग के ओपनिंग बैलेंस के समायोजन के तौर पर माना गया, सिर्फ उन परियोजनाओं के लिए जो पूरी नहीं हुई थी। नौ कंपनियों ने 112.79 अरब रुपए का संचयी प्रभाव देखा, जो 31 मार्च 2018 की उनकी हैसियत के मुकाबले 18 फीसदी कम है। इससे पहले इन कंपनियों की संचयी हैसियत 620.05 अरब रुपए था, जो अब घटकर 507.26 अरब रुपए रह गया है। मार्च के आखिर में इन इकाइयों का संचयी कर्ज 425.17 अरब रुपए था।

इक्रा ने कहा, मौजूदा परियोजनाओं के लिए उनका राजस्व वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में 23.6 फीसदी घटकर 67.71 अरब रुपए रह गया, जो पिछली तिमाही (वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही) में 88.64 अरब रुपए रहा था। इनकी आय भी घटकर 7.43 अरब रुपए रह गई, जो पहले 24.09 अरब रुपए रही थी। वित्तीय विवरण का इस्तेमाल करने वालों को गहराई से देखना होगा, वहीं कंपनियों को परियोजना पूरा होने, विभिन्न परियोजनाओं के राजस्व और लाभ आदि के मामलों में डिस्क्लोजर में भी सुधार करना होगा। उन्होंने कहा, हमें तिमाही राजस्व व लाभ में खासा उतारचढ़ाव की संभावना दिख रही है, ऐसे में डिस्क्लोजर से समझने में मदद मिलेगी। लेखा मानक से कंपनी के नकदी प्रवाह पर असर नहीं पड़ेगा।

Supreet Kaur

Advertising