RBI गवर्नर का सबको साथ लेकर चलने के मंत्र पर भरोसा, सुधारों को दी गति
Thursday, Dec 12, 2019 - 05:25 AM (IST)
मुम्बई: केन्द्रीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.)के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक साल पहले पदभार संभालने के समय सभी को साथ लेकर चलने और बातचीत के जरिए समस्याओं के हल का वायदा किया था। पिछले एक साल पर निगाह डालने से दिखता है कि वह उस पर कायम रहे। उनके नेतृत्व में आर.बी.आई. ने एक तरफ जहां आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अब तक 5 बार नीतिगत दर में कटौती की वहीं कर्ज के ब्याज को रेपो से बाह्य दरों से जोड़े जाने जैसे सुधारों को भी आगे बढ़ाया है।
प्रशासनिक अधिकारी से केंद्रीय बैंक के मुखिया बने दास ने 12 जनवरी, 2018 को कार्यभार संभाला। आर.बी.आई. की स्वायत्तता पर बहस के बीच गवर्नर डा. उर्जित पटेल के अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद इस पर दास को लाया गया।
उर्जित पटेल ने हालांकि व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दिया था लेकिन विशेषज्ञों का कहना था कि आर.बी.आई. की स्वायत्तता और अतिरिक्त नकदी सरकार को हस्तांतरित करने जैसे विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय के साथ कथित मतभेद के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया था। सरकार को रिजर्व बैंक के पास पड़ी अतिरिक्त नकदी के हस्तांतरण का ऐतिहासिक फैसला, संकट में फंसे कुछ सरकारी बैंकों को आर.बी.आई. की निगरानी से बाहर करना और जून में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति को लेकर नए नियम लाना दास के कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं।
आर.बी.आई. के केंद्रीय बैंक के सदस्य सचिन चतुर्वेदी ने दास को ऐसा शख्स बताया जिसने व्यवहारिकता, प्रतिबद्धता और पारदर्शिता लाई। उन्होंने एक साक्षात्कार दौरान कहा, ‘‘गवर्नर कई तरीके से सरकार और अन्य पक्षों को साथ लाने और निदेशक मंडल को समन्वय वाला मंच बनाने में सफल रहे।’’ चतुर्वेदी के अनुसार 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठकों में दास ने यह सुनिश्चित किया कि निदेशक मंडल के सभी सदस्य अपनी बातें रखें और उसके बाद उन मुद्दों पर चर्चा करवाई।