विशेषज्ञों ने कहा- रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति, वृद्धि के बीच सही संतुलन बनाया

Wednesday, Jun 08, 2022 - 04:11 PM (IST)

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक ने इस नाजुक मोड़ पर मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच सही संतुलन बनाया है। केंद्रीय बैंक द्वारा प्रमुख नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की घोषणा पर उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने बुधवार को यह बात कही। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था जुझारू है, हालांकि नकारात्मक वैश्विक रुझान घरेलू आर्थिक वृद्धि के दृष्टिकोण को प्रभावित कर रहे हैं। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मुद्रास्फीति के अनुमानों को स्थिर करने की जरूरत को देखते हुए आरबीआई द्वारा नीतिगत रेपो दर को आधा प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई ने मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच सही संतुलन बनाने के लिए संयम और दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया है।'' उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि रेपो दर बढ़ाने का आरबीआई का फैसला काफी हद तक अनुमान के मुताबिक है और इसे टाला नहीं जा सकता था।

एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने हालांकि मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए उदार रुख को वापस लेने का फैसला किया है, लेकिन साथ ही वह अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जरूरत से भी अवगत है। इसलिए नीतिगत दर को अब भी महामारी-पूर्व के के स्तर से नीचे रखा गया है।'' रिलॉय के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अखिल सर्राफ ने कहा कि रेपो दर में वृद्धि से ऋण दरों में वृद्धि होगी और आखिरकार इसका भार घर खरीदारों की जेब पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद यह अब भी आठ प्रतिशत सालाना से कम के स्तर पर ही रहेगी। 

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी का मानना ​​​​था कि उदार नीति से अब ऋण दरों में सख्ती निराशाजनक है, क्योंकि इसका व्यापार करने की लागत और उत्पादन संभावनाओं पर असर पड़ेगा। मुल्तानी ने कहा, ‘‘ब्याज दर में किसी भी तरह की वृद्धि से कारोबार की लागत बढ़ जाती है। इस पर पहले ही कच्चे माल की ऊंची कीमतों और भू-राजनीतिक संकट के चलते दबाव है।''  

jyoti choudhary

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