RBI का ऋण न चुकाने वालों के नाम RTI के तहत देने से इनकार

Tuesday, May 23, 2017 - 04:48 PM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ऋण न चुकाने वालों (डिफॉल्टरों) की सूची को सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) के तहत सार्वजनिक करने से इनकार किया है हालांकि उच्चतम न्यायालय ने 2015 में इस सूचना को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

यह मामला सूचना के अधिकार (आर.टी.आई.) कानून के तहत सुभाष अग्रवाल द्वारा ऋण न चुकाने वालों की सूची मांगने से संबंधित है। उन्होंने एक करोड़ रुपए या अधिक के कर्जों की नियमित अदायगी न करने वालों की जानकारी मांगी है। सरकार के अनुसार 31 दिसंबर, 2016 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एन.पी.ए.) 6.06 लाख करोड़ रुपए थीं। रिजर्व बैंक ने सरकार के आर्थिक हित, वाणिज्यिक गोपनीयता और सूचना को अमानत के रुप में रखने के अपने कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए इस सूची को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने आर.बी.आई. कानून, 1934 की धारा 45-ई के प्रावधानों का हवाला दिया है। यह प्रावधान ऋण के बारे में सूचना देने से रोकता है।

उच्चतम न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2015 को एक अन्य आर.टी.आई. आवेदक के मामले में स्पष्ट रूप से इन दलीलों को खारिज करते हुए डिफॉल्टरों की सूची का खुलासा करने के केंद्रीय सूचना आयुक्त (सी.आई.सी.) के आदेश को उचित ठहराया था। इसके बावजूद केंद्रीय बैंक ने इन्हीं दलीलों का हवाला देते हुए अग्रवाल को सूचना देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अग्रवाल इस मामले को सी.आई.सी. में ले गए। सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने कहा कि उच्चतम न्यायालय एक मामले की सुनवाई कर रहा है जिसमें सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी गई है और ऐसे में कोई फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। दो सदस्यीय सी.आई.सी. पीठ ने रिजर्व बैंक को राहत देते लंबित मामले पर आदेश आने तक कोई फैसला नहीं देने पर सहमति जताई। इस मामले में 500 करोड़ रुपए के चूककर्ताओं का खुलासा करने के बारे में शीर्ष अदालत को फैसला करना है। 

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