आरबीआई ने भंडार में बढ़ाया सोना
Wednesday, Sep 12, 2018 - 12:28 PM (IST)
मुंबईः ऐसा लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने विदेशी मुद्रा भंडार में नियमित रूप से सोना बढ़ा रहा है। इससे पहले कुछ मौकों पर ही भंडार में सोना बढ़ाया जाता था। केंद्रीय बैंक ने जुलाई में अपने विदेशी मुद्रा भंडार में 6.8 टन सोना जमा किया है, जो 2009 के बाद भंडार में सबसे अधिक मासिक बढ़ोतरी है। भंडार में सोना ऐसे समय बढ़ाया गया है, जब आरबीआई रुपए में गिरावट को रोकने के लिए 25 अरब डॉलर से अधिक खर्च कर चुका है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2009 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) से 200 टन सोना खरीदने के बाद पहली मामूली खरीदारी दिसंबर, 2007 में महज 300 किलोग्राम की। इसके बाद भंडार में मार्च, 2018 में 2.2 टन सोना शामिल किया गया। विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-2019 के पहले 4 महीनों में भंडार में 12.7 टन सोना बढ़ाया है। इसमें से 11.2 टन की खरीद जून और जुलाई में की गई।
अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण भंडार पर नजर रखने वाले विश्लेषकों ने कहा कि आरबीआई का कदम यह दर्शाता है कि अब वह बाजार को प्रभावित किए बिना भंडार के लिए बाजार से सोने की सीमित मात्रा में खरीद कर रहा है। यह जरूरत इसलिए महसूस की गई क्योंकि वैश्विक स्तर पर रूस, तुर्की, चीन और अन्य देश अपने विदेशी मुद्रा भंडार में विवधिता लाने के लिए भंडार में नियमित रूप से सोना बढ़ा रहे हैं। केंद्रीय बैंक सोने की कीमतों को लेकर सरकार के जोखिम को दर्शा रहा है। सरकार पर यह जोखिम तब आता है, जब वह सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के जरिए धन जुटाती है। इन बॉन्डों में सरकार सोने की कीमत के आधार पर धन जुटाती है और 8 साल बाद उस समय की सोने की कीमतों पर भुनाती है।
इसका मतलब है कि सरकार पर सोने की कीमतों का जोखिम है। इसकी पुष्टि आरबीआई नहीं करता है। हालांकि आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के आंकड़ों में यह स्वीकार किया गया है कि उसने भंडार में सोने की मात्रा बढ़ाई है। केंद्रीय बैंक ने ताजा आंकड़ों में कहा है कि उसने 23.5 टन सोने की कीमत के बराबर के सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों की बिक्री की है। हालांकि सरकार के इस जोखिम की हेजिंग नहीं थी क्योंकि सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों को सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम का हिस्सा माना जाता है।