RBI ने फेरा उम्मीदों पर पानी, सस्‍ते कर्ज का सपना टूटा

Wednesday, Feb 08, 2017 - 04:05 PM (IST)

मुंबईः करीब 70 फीसदी बैंकरों के अनुमानों पर पानी फेरते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई कटौती नहीं की। रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई को 4 फीसदी के आसपास रखने की अपनी प्रतिबद्धता जातते हुए आज नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखने का निर्णय लिया जिससे कार, घर और व्यक्तिगत ऋण के तत्काल सस्ते होने की उम्मीद लगाए लोगों को निराशा हाथ लगी है। 

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मौद्रिक नीति समिति की 2 दिनों की बैठक के आज चालू वित्त वर्ष की छठी एवं अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा जारी की जिसमें नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा गया है। रेपो दर 6.25 फीसदी, रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसदी, मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी (एमएसएफ) 6.75 फीसदी, बैंक दर 6.75 फीसदी, नकद आरक्षित अनुपात 4.0 फीसदी और वैधानिक तरलता अनुपात 20.50 फीसदी पर यथावत है।  

समिति ने बयान में कहा है कि विकास को गति देते हुए खुदरा महंगाई को 4 फीसदी के आसपास रखने के लक्ष्य से नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया है। समिति के सभी 6 सदस्यों ने इसका समर्थन किया है। उसने कहा कि महंगाई विशेषकर सेवा क्षेत्र की महंगाई दरों में कमी आने की उम्मीद की जा रही है। इसके मद्देनजर समिति ने समझौता वाले अपने रुख को बदलते हुए निष्पक्ष रुख अपनाने का निर्णय लिया है। उसने कहा कि नोटबंदी के प्रभावों और उत्पादन में अंतर को दूर करने के उद्देश्य से नीतिगत दरें यथावत रखी जाएंगी। 

आर.बी.आई. ने विकास दर अनुमान और घटाया 
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर का अपना अनुमान और घटाते हुए 6.9 फीसदी कर दिया है। वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सकल मूल्य वद्र्धन अनुमान 7.6 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी किया था। साथ ही वित्त वर्ष 2017-18 के लिए विकास दर 7.4 फीसदी रहने की बात कही गई है। आर.बी.आई. ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में नकदी की उपलब्धता बढऩे के साथ जनवरी के मध्य से अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं जिससे अगले वित्त वर्ष में विकास दर में तेजी से बढ़ौतरी होगी। 

मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें  
- नीतिगत ब्याज दर (रेपो) 6.25 फीसदी पर यथावत। 
- आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 का अनुमान घटा कर 6.9 फीसदी किया गया। वर्ष   2017-18 में वृद्धि 7.4 फीसदी रहने का अनुमान। 
- अगले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि में तेजी से सुधार की संभावना।  
- वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4-4.5 फीसदी और दूसरी तिमाही में 4.5-5 फीसदी रहने का अनुमान। 

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