RBI ने दिया बड़ा तोहफा- रेपो रेट में की कटौती, सस्‍ती होगी आपकी EMI

Thursday, Apr 04, 2019 - 01:08 PM (IST)

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चुनावी साल में लगातार दूसरी बार नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कमी करने का निर्णय लिया है जिससे आवास, वाहन एवं व्यक्तिगत ऋण के सस्ते होने की उम्मीद बनी है।रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिवसीय बैठक के बाद गुरुवार काे यहाँ चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति जारी की गयी जिसमें उसने कहा कि महँगाई विशेषकर खुदरा महंगाई - लक्षित दायरे  में है, लेकिन घरेलू स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में शिथिलता के मद्देनजर  निजी निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से ब्याज दरों में कमी करने का निर्णय बहुमत के आधार पर लिया गया है। समिति के चार सदस्यों ने नीतिगत दरों में कटौती का समर्थन किया है जबकि दो सदस्य दरों को यथावत बनाये रखने के पक्षधर थे। 

समिति के निर्णय के बाद अब रेपो दर 6.25 प्रतिशत से घटकर 6.00 प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर 6.00 प्रतिशत कम होकर 5.75 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी दर (एमएसएफआर) 6.50 प्रतिशत से घटकर 6.25 प्रतिशत तथा बैंक दर 6.50 प्रतिशत कम होकर 6.25 प्रतिशत हो गयी है। हालांकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को चार प्रतिशत पर और वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 19.25 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है।  इसके साथ ही समिति ने नीतिगत दर के रुख निरपेक्ष बनाये रखने का भी निर्णय लिया है। नीतिगत दरों में कटौती तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी है।  रेपो रेट घटने से बैंक अब कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है।

किसने कैसे किया वोट 
रेपो रेट कम होने से होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे सभी तरह के लोन की ईएमआई घटने के आसार हैं। रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में बदलाव किया है। एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों ने रीपो रेट में कटौती का समर्थन किया। साथ ही वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर सात फीसदी कर दिया गया है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई वर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनकी दूसरी एमपीसी बैठक थी।

क्या होता है रेपो रेट 
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।  जैसे कि होम लोन, व्हीकल लोन और अन्य तरह के लोन। कम रेपो रेट होने पर बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिल सकता है। 

Isha

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