NBFC के लिए सख्त नियम की तैयारी में RBI, जारी किया डिस्कशन पेपर

Saturday, Jan 23, 2021 - 01:52 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः बैंकिंग सेक्टर में स्थिरता लाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) के लिए सख्त नियम लागू करने की तैयारी में है। एनबीएफसी के लिए नियामकीय ढांचा यानी रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने के मकसद से आरबीआई ने शुक्रवार को एक डिस्कशन पेपर (discussion paper) जारी किया। इस पेपर में आरबीआई ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर की बदलती हुई वास्तविकताओं के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने के लिए एनबीएफसी के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में बदलाव की जरूरत है। इस डिस्कशन पेपर में कहा गया है कि एनबीएफसी के लिए बनाए जाने वाला रेगुलेटरी फ्रेमवर्क 4 लेयर्स के स्ट्रक्चर पर आधारित होना चाहिए। 

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रिजर्व बैंक ने अपने डिस्कशन पेपर में कहा कि रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के स्ट्रक्चर में बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर होना चाहिए। बेस लेयर ने वैसे एनबीएफसी को रखने का सुझाव दिया गया जो नॉन-डिपोजिट एनबीएफसी हैं यानी जिनमें लोग पैसे जमा नहीं करते हैं। वहीं, मिडिल लेयर में वैसै नॉन-डिपोजिट एनबीएफसी जो फाइनेंशियल सिस्टम के लिए जरूरी हैं, उन्हें रखने की बात कही गई है। इनमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ दूसरे एनबीएफसी को रखने का सुझाव दिया गया है और कहा गया है कि इनके लिए जो नियम बनें, वे बेस लेयर से कड़े होने चाहिए। 

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अधिक जोखिम वाले NBFC अपर और टॉप लेयर में हों
वहीं, अपर लेयर में ऐसे बड़े एनबीएफसी को रखने का सुझाव दिया गया है जिनमें फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को प्रभावित करने की क्षमता है। इनके लिए बैंकों की तरह ही कड़े नियम और दूसरे प्रावधान करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इनके मैनेजमेंट को अधिक पावर और इन पर अधिक सुपरविजन रखने को कहा गया है। वहीं, टॉप लेयर में ऐसे एनबीएफसी को रखने का सुझाव दिया गया है जो अपर लेयर में शामिल हैं और जो अधिक जोखिम वाले हैं। यानी जिनके विफल होने से फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को खतरा हो सकता है। ऐसे एनबीएफसी के लिए सबसे अधिक कड़े नियम बनाने की बात कही गई है।

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थ्रेसहोल्ड लिमिट बढ़ाने का सुझाव
RBI के डिस्कशन पेपर में कहा गया है कि एनबीएफसी को श्रेणियों में बांटने के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। इसमें कहा गया है कि systemically important NBFC में शामिल होने के लिए इस थ्रेसहोल्ड को 500 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है। देश में 9425 नॉन-डिपोडिट टेकिंग NBFCs हैं, जिनमें 9133 NBFCs का ऐसेट साइज 500 करोड़ रुपये से कम का है। इसके साथ नए NBFCs के लिए net owned funds  का सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये से 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है।  

सख्त नियम बन सकता है
इससे पहले खबर आई थी कि NBFC के लिए बनाये जाने वाले नियमों में इन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए भी सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) को बनाए रखना जरूरी होगा। साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (CRR) रखना भी अनिवार्य करने की योजना थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि RBI का यह कदम NBFCs के लिए बड़ा नकदी संकट खड़ा कर सकता है। अभी इस तरह की कोई भी बाध्यता नहीं है। आपको बता दैं कि IL&FS, HDFL और अल्टिको कैपिटल जैसे बड़े NBFCs के दिवालिया होने के बाद RBI ने इन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों एनबीएफसी पर सख्ती बढ़ाने की योजना बनाई है। ये कदम बड़े NBFCs को दिवालिया होने से रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं।  
 

jyoti choudhary

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