NBFC सैक्टर को राहत, RBI ने लोन देने की लिमिट बढ़ाई

Saturday, Oct 20, 2018 - 10:52 AM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों (एन.बी.एफ.सीज) और हाऊसिंग फाइनांस कम्पनियों की तरलता बढ़ाने के लिए नए नियम जारी किए हैं। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब एन.बी.एफ.सी. क्षेत्र की आई.एल. एंड एफ.एस. समूह की कई कम्पनियां नकदी की कमी से जूझ रही हैं और अपनी देनदारियां चुकाने में डिफाल्ट कर रही हैं।

आर.बी.आई. ने एक अधिसूचना में कहा कि यह फैसला तुरंत प्रभाव से लागू होगा। अब बैंक एन.बी.एफ.सी. को 15 फीसदी तक कर्ज दे सकते हैं। पहले यह सीमा 10 फीसदी थी। यह उन एन.बी.एफ.सी. कम्पनियों पर लागू होगा, जो अवसंरचना क्षेत्र को कर्ज नहीं देती हैं। यह सुविधा 19 अक्तूबर को एन.बी.एफ.सी./ एच.एफ.सी. पर बैंकों के बकाया कर्ज के स्तर से ऊपर दिए गए कर्ज के लिए होगी और आगामी दिसंबर तक जारी रहेगी।

केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध
भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान और निपटान कानूनों में बदलाव के बारे में सरकार की एक समिति की कुछ सिफारिशों के खिलाफ कड़े शब्दों वाला अपना असहमति नोट सार्वजनिक किया है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि भुगतान प्रणाली का नियमन केंद्रीय बैंक के पास ही रहना चाहिए। सरकार ने आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में भुगतान और निपटान प्रणाली (पी.एस.एस.) कानून, 2007 में संशोधनों को अंतिम रूप देने के लिए एक अंतर मंत्रालयी समिति गठित की थी। समिति ने रिपोर्ट के मसौदे में भुगतान संबंधित मुद्दों के लिए एक स्वतंत्र नियामक, भुगतान नियामक बोर्ड (आर.आर.बी.) के गठन का सुझाव दिया है। रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि ने समिति को जो असहमति नोट दिया है उसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक से बाहर भुगतान प्रणाली के लिए अलग नियामक का कोई मामला नहीं बनता है। नोट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक नए पी.एस.एस. विधेयक के पूरी तरह खिलाफ नहीं है। 

Supreet Kaur

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