बुजुर्गों की बढ़ती आबादी से बिगड़ रही समृद्ध देशों की अर्थव्यवस्था

punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2019 - 11:43 AM (IST)

फुकुओकाः दुनिया में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और घटते कार्यबल को लेकर चिंता बढ़ रही है। इससे समृद्ध देशों की अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है। बुजुर्गों की जी-20 देशों के वित्तीय नीति निर्माताओं ने पहली बार इस मुद्दे पर चर्चा की है। जी-20 के सदस्य देशों की कुल ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्शन (जी.डी.पी.) दुनिया की कुल जी.डी.पी. का 85 प्रतिशत है लेकिन इनके सामने एक अजीब समस्या आ गई है। दुनिया के समृद्धशाली देशों का यह समूह पहली बार विचार करने पर मजबूर हो गया है कि जन्म दर में लगातार आ रही गिरावट वैश्विक जोखिम पैदा कर रही है।

भारत का क्या होगा? 
भारत में भी पहले के अनुमानों के मुकाबले बुजुर्ग आबादी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि यहां की स्थिति चीन जैसे देशों से बेहतर है। 2000-2050 के दौरान भारत की कुल आबादी 56 प्रतिशत (करीब 32 करोड़) बढऩे का अनुमान है। तब 60 से ज्यादा उम्र की जनसंख्या 3.26 गुना जबकि 80 से ज्यादा उम्र की जनसंख्या 7 गुना बढ़ जाएगी। 

क्या है चिंता का सबब?
जापान में जी-20 के वित्त मंत्रियों और उनके केन्द्रीय बैंकों के प्रमुखों की मीटिंग हो रही है जहां उन्होंने यह महसूस किया कि इस समस्या का समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो बहुत देर हो जाएगी। इस आयोजन के मेजबान और जापान के वित्त मंत्री तारो आसो ने कहा, ‘‘हमारा कहना है कि आपके अमीर होने से पहले अगर बुढ़ापा अपना असर दिखाने लगा तो आपके पास प्रभावी कदम उठाने की क्षमता नहीं बचेगी।’’ गौरतलब है कि जापान की बड़ी आबादी तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ रही है और बच्चों की जन्मदर बेहद कम है। 

इतनी चिंता क्यों? 
एक तरफ लोगों की उम्र बढ़ रही है तो दूसरी तरफ  जन्म दर में लगातार गिरावट आ रही है। इससे कामकाजी आबादी (लेबर फोर्स) भी घट रही है जिसका मतलब है कि कम्पनियों को पर्याप्त संख्या में वर्कर नहीं मिल रहे हैं। इससे उनका उत्पादन घट रहा है। इससे अर्थव्यवस्था में नए निवेश के अवसर घटते जा रहे हैं। उधर पैंशन और स्वास्थ्य व्यवस्था के संचालन जैसे उम्र संबंधी खर्चे बढ़ रहे हैं। अब जब वर्क फोर्स घट रहा है और नए निवेश नहीं हो रहे हैं तो पैंशन और स्वास्थ्य सेवाओं के खर्चे कहां से आएंगे? साल 2050 तक दुनिया में 60 वर्ष और उससे ऊपर के बुजुर्गों की आबादी 2 अरब से ज्यादा हो जाएगी जो 2017 में आधी यानी 1 अरब थी लेकिन कई देशों ने आबादी में बदलाव के अनुकूल पैंशन और रोजगार व्यवस्था नहीं बदली है। 

कहां है अवसर? 
तेजी से बढ़ती उम्रदराज आबादी वाले दशों को बुजुर्गों के बढ़ते आर्थिक बोझ के मद्देनजर मौजूदा वक्त में ज्यादा बचत की दरकार है। ऐसे में उनके सामने युवा आबादी वाला भारत, निवेश का सर्वोत्तम विकल्प है इसलिए उम्रदराज आबादी वाले, लेकिन धन-संपदा से भरे देशों में से कुछ अगर युवा आबादी से लबरेज लेकिन अपर्याप्त धन-संपदा वाले देशों में निवेश करते हैं तो यह दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।


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jyoti choudhary

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