नोटबंदी के बाद प्रॉपर्टी के दाम क्यों नहीं गिरे!

Wednesday, Feb 08, 2017 - 02:08 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी से यह आशा जगी कि प्रॉपर्टी की क़ीमती में गिरावट होगी। कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च 2017 तक प्रॉपर्टी की क़ीमतें 30 फीसदी तक कम हो जाएंगी। ऐसा होना इसलिए माना जाता था क्योंकि प्रॉपर्टी के लेन-देन में 'काले भाग' के लिए कैश की ज़रूरत होती थी।

भारत में, अधिकतर प्रॉपर्टी के सौदों में लेन देन का बड़ा हिस्सा कैश में होता था। इन सौदों में ख़रीददार बेचने वाले को कैश में भुगतान करता था। ऐसा करने से ख़रीदने वाला स्टांप ड्यूटी और सर्विस टैक्स बचाता था और बेचने वाला कैपिटल गैन टैक्स।

ऐसा माना और सोचा गया था कि नोटबंदी के बाद कैश की कमी हो जाएगी और क़ीमतें गिर जाएंगी। सरकार को ऐसा ही लगता है कि क़ीमतें गिरी है तथा ये और भी गिरेंगी क्योंकि कैश की कमी के चलते लेन देन मुश्किल होगा और अघोषित आय को रियल इस्टेट में निवेश करना मुश्किल होगा। 

ताजा आर्थिक सर्वेक्षण को देखेंगे तो पता चलेगा कि नोटबंदी के बाद पिछले 3 माह में रियल इस्टेट बाज़ार में काफ़ी धीमापन आ गया है। नए लॉंच और बिक्री के आंकड़े काफ़ी नीचे आएं है। इन आंकड़ो के अनुसार दिसम्बर 2015 की तुलना में दिसम्बर 2016 में नए घरों व प्रोजेक्ट की लॉंचिंग 60 फीसदी तक और बिक्री 40 फीसदी तक गिरी है। ये सब नोटबंदी के कारण नहीं हुआ, क्योंकि यह तो नोटबंदी से पहले भी हो रहा था। इन आंकड़ों को ध्यान से देखने पर पता चलेगा कि नए लॉंच और बिक्री में गिरावट के बावजूद भी प्रॉपर्टी की क़ीमतों में आशा अनुरूप कुछ खास गिरावट नहीं आई। सच यही है कि सोच के अनुरूप प्रॉपर्टी के दाम नहीं गिरे।

बिक्री कम होने के बावजूद कीमतों का ना गिरना बताता है कि रियल एस्टेट मार्कीट को समझना काफ़ी जटिल है। बिक्री में 40 फीसदी की गिरावट के बाद कीमतों के ना गिरने की ठोस वजह और विश्लेषण और जवाब दे पाना काफी मुश्किल और जटिल है, किंतु सम्भावित कारण बताए जा सकते है। 

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