प्रदूषण से जंग में बाधक बना 43% GST, 76% गिरी हाईब्रिड कारों की बिक्री

Monday, Jun 17, 2019 - 10:50 AM (IST)

जालंधर: पर्यावरण के लिहाज से दुनिया के 180 देशों की रैंकिंग में से 177वें नंबर पर आने वाले भारत में हाईब्रिड कारों पर करों की ऊंची दर पर्यावरण सुधार के मामले में बाधक बनी हुई है। 2017 में जी.एस.टी. लागू होने के बाद यह कारण भी पैट्रोल और डीजल कारों की तरह हाई टैक्स कैटेगरी में आ गई थी और कई कारों पर टैक्स की दर 43 फीसदी तक पहुंच गई जिससे हाईब्रिड कारों की बिक्री में जी.एस.टी. लागू होने के एक साल के भीतर 76 फीसदी की गिरावट देखी गई। लिहाजा महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों को स्कॉर्पियो जैसी अपनी पॉपुलर कार के हाईब्रिड मॉडल को ब्रेक लगाना पड़ा जबकि जापानी कंपनी टोयोटा ने भी अपने भविष्य के प्रोजैक्ट रोक दिए।

इलैक्ट्रिक कारों पर 12 और हाईब्रिड कारों पर 43% टैक्स
इलैक्ट्रिक कारों और हाईब्रिड कार में मूल अंतर यह है कि इलैक्ट्रिक कार पूरी तरह से बैटरी से चलती है जबकि हाईब्रिड कार परंपरिक इंजन का कुछ हद तक इस्तेमाल करते हुए इसके अंदर लगी हुई बैटरी से चलती है लेकिन भारत में इन दोनों कारों के कर में 31 फीसदी का अंतर है। इलैक्ट्रिक कारों पर कर सिर्फ 2 फीसदी है और इस पर कोई सरचार्ज भी नहीं है जबकि हाईब्रिड कारों पर न सिर्फ  28 फीसदी कर है बल्कि 15 फीसदी सरचार्ज भी है।

25% हो सकता है GST
देश में हाईब्रिड कारों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए जापान की टोयोटा, होंडा मारुति सहित कई कंपनियां कतार में हैं। भारत में 2021 तक हाईब्रिड कारों की नई रेंज और मॉडल लांच करने के लिए काम कर रही हैं। ऐसे में सरकार इन कारों पर जी.एस.टी. की दर को कम करने पर भी विचार कर रही है। रोड एंड़ ट्रांसपोर्ट मंत्रालय इस मामले में अपनी सिफारिश वित्त मंत्रालय को भेजेगा और इन कारों पर लगने वाले कर को 43 फीसदी से कम कर के 25 फीसदी किया जा सकता है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कर की दर को 35 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव भी है।

कैसे बढ़ा टैक्स
1 जुलाई 2017 को देश में जी.एस.टी. लागू होने से पहले हाईब्रिड कारों पर 24 फीसदी एक्साइज ड्यूटी लगती थी जबकि इसके साथ एस.यू.वी. और हाई कैपेसिटी कारों पर 4 फीसदी अतिरिक्त कर लगता था लेकिन जी.एस.टी. लागू होने के बाद सरकार ने हाईब्रिड कारों को भी अन्य कारों के साथ ही न सिर्फ 28 फीसदी टैक्स के दायरे में डाल दिया बल्कि इन कारों पर 15 फीसदी अतिरिक्त सरचार्ज भी लगा दिया। इससे कुल कर मिला कर 43 फीसदी तक पहुंच गया। 

GST के बाद गिरी बिक्री
देश में जी.एस.टी. लागू होने के बाद हाईब्रिड कारों की बिक्री में 76 फीसदी गिरावट देखी गई है और लोग अब पैट्रोल और डीजल कार को ही तरजीह दे रहे हैं। जी.एस.टी. लागू होने से पहले टोयोटा की कैमरी कार की दिल्ली में कीमत 32 लाख से बढ़ कर साढ़े 37 लाख रुपए हो गई जिससे कारों की बिक्री एक तिहाई रह गई जबकि मारुति की हाईब्रिड कारों की बिक्री में भी गिरावट देखी गई है।

सरकार की योजना को ठंडा रिस्पांस
केंद्र सरकार ने इलैक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़ाने के लिए 1 अप्रैल 2015 को शुरू की गई फास्टर अडॉप्शन एन्ड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलैक्ट्रिकल व्हीकल्स इन इंडिया (फामे) योजना को ठंडा रिस्पांस मिला है। इस योजना को 2017 तक जारी रहना था लेकिन बाद में इसे 2018 और फिर 2019 तक बढ़ाया गया और इस साल मार्च में इसका दूसरा संस्करण लांच किया गया। पिछले 4 साल की इस अवधि में 278691 इलैक्ट्रिक वाहन ही बिके हैं और इस योजना के तहत अब तक वाहन मालिकों ने 343 करोड़ रुपए की सबसिडी का ही दावा किया है।

सरकार ने हाईब्रिड वाहनों पर शुरू की सबसिडी
इलैक्ट्रिकल व्हीकल्स इन इंडिया (फामे) के मार्च में शुरू हुए दूसरे फेज में सरकार ने हाईब्रिड कारों को भी सबसिडी के दायरे में डाल दिया है। कारों में सबसिडी बैटरी की क्षमता के हिसाब से दी जा रही है और प्रति किलोवाट हावर पर 10 हजार रुपए का इन्सैंटिव दिया जा रहा है। इस इन्सैंटिव से टोयोटा की कैमरी कार 70 हजार रुपए सस्ती हो गई है जबकि वॉल्वो की 2 करोड़ तीस लाख रुपए कीमत की हाईब्रिड बस पर 61 लाख रुपए तक की सबसिडी दी जा रही है।

नई नोटीफिकेशन में 8596 करोड़ सबसिडी का लक्ष्य
इस योजना की नई नोटीफिकेशन में सरकार ने वाहन चालकों को 8596 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है। इसमें से 2 हजार करोड़ रुपए का बजट दोपहिया वाहनों, तिपहिया वाहनों के लिए 2500 करोड़, इलैक्ट्रिकल कारों के लिए 525 करोड़, हाईब्रिड कारों के लिए 26 करोड़ और इलैक्ट्रिकल बसों के लिए 3545 करोड़ रुपए की सबसिडी देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन योजना के प्रचार की कमी के चलते यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लग रहा है।
 

jyoti choudhary

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