डॉलर के मुकाबले 37 साल के निचले स्तर पर पहुंचा Pound

Friday, Sep 16, 2022 - 06:33 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः विश्वबैंक की चेतावनी के बाद दुनियाभर के बाजारों में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। मजबूत डॉलर और मंदी की चेतावनियों के बीच 1985 के बाद पहली बार ब्रिटिश पाउंड आज 1.14 डॉलर से नीचे गिर गया। डॉलर के मुकाबले पाउंड 37 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को पाउंड गिरकर 1.1351 डॉलर पर आ गया।

लंदन में, स्टर्लिंग सुबह 8:50 बजे 1.135 डॉलर तक गिर गया और दोपहर तक थोड़ा बढ़कर 1.141 डॉलर हो गया, जो 37 साल का निचला स्तर है। अगस्त की खुदरा बिक्री में 1.6% की गिरावट दिखाने वाले आंकड़ों के प्रकाशन के बाद यह हुआ।

पाउंड की हालत इतनी खराब क्यों?

यूके की राजनीति से लेकर यूके की अर्थव्यवस्था में इस समय अनिश्चितता का माहौल है। हाल ही में वहां चुनाव हुए हैं। नए पीएम बनाए जाएंगे। कहा जाता है कि बाजार में अगर आप मजबूती चाहते हैं तो अनिश्चितता को दूर करना होगा। इसकी दूसरी और यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलना ब्रिटेन को भारी पड़ रहा है। इसका नुकसान ब्रिटेन के व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। उन्हें पहले की तुलना में अधिक टैक्स देना पड़ रहा है। पहले जब ब्रिटेन EU का हिस्सा था तब यूरोपीय यूनियन में शामिल किसी भी देश से व्यापार करने के लिए टैक्स नहीं देना पड़ता था। उससे उसकी अर्थव्यवस्था को काफी फायदा मिलता था जो अब बंद हो गया है। इस समय वहां महंगाई भी चरम पर है। लोगों को रोजगार कम मिल रही है। ये समस्या सिर्फ ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि उसके अन्य पड़ोसी देशों में भी है।

डॉलर क्यों हो रहा मजबूत?

डॉलर के लगातार मजबूत होने से दुनिया भर की करेंसी पर असर दिखने लगा है। रुबेल से लेकर पाउंड और यूरो की कीमतों में भी बदलाव देखा जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हैं अमेरिका द्वारा लगातार अपने नीतिगत फैसलों में उलटफेर करना। हाल ही में Fed ने भी 0.75 बेसिस प्वाइंट की टैक्स रेट में वृद्धि की थी। Fed अमेरिका का केंद्रीय बैंक है। टैक्स रेट में वृद्धि करने से दुनिया भर के इन्वेस्टर को अमेरिका आकर्षित करने लगा, क्योंकि अगर आप अमेरिका में पैसा इन्वेस्ट करते हैं तो आपको पहले की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलेगा। दूसरी सबसे बड़ी बात यह होगी कि इन्वेस्टर को करेंसी डॉलर में कंवर्ट भी नहीं करनी पड़ेगी। किसी भी देश में जब निवेश बढ़ता है तो उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और इसका असर उस देश की करेंसी पर भी देखने को मिलता है। यही कारण है कि USD लगातार मजबूत होती जा रही है। 

jyoti choudhary

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