2011 में हुआ था PNB घोटाला, एेसे हुआ खुलासा

Thursday, Feb 15, 2018 - 01:00 PM (IST)

नई दिल्लीः पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने देश को चौंकाकर रख दिया है। यह घोटाला करीब साढ़े 11400 करोड़ रुपए का है। पीएनबी ने बुधवार को मुंबई स्थित शाखा में घोटाले की जनाकारी दी। इस घोटाले में कारोबारी नीरव मोदी का नाम सामने आया है। जिसके खिलाफ मनी लांड्रिंग के केस दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में पीएनबी ने अपने 10 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। बैंक ने बताया कि कुछ खाताधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए यह लेन-देन किया गया।

2011 में दिया गया था घोटाले को अंजाम
जानकारी के अनुसार यह जालसाजी सात पहले साल ही अंजाम दी गई थी, इसके बावजूद पीएनबी के उच्च‍ाधिकारियों को इसका पता नहीं चल पाया। इस जालसाजी के सामने आने के बाद PMLA की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने भी मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में बैंक के 10 कर्मचारी सस्पेंड कर दिए गए हैं और 2 का एफआईआर में भी नाम है। वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि वे अपने लेनदेन के रिकॉर्ड की नए सिरे से जांच करें, ताकि कोई संदिग्ध मामला हो तो वह सामने आ सके। वित्त मंत्रालय में वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने बताया, 'इस फ्रॉड को 2011 में अंजाम दिया था और यह इसलिए पता चल पाया कि हमने सभी बैंकों को यह आदेश दिया था कि वे अपने लेनदेन के रिकॉर्ड को साफ-सुथरा करें। यह बैंकों के एनपीए को दुरुस्त करने के हमारे प्रयास का हिस्सा है।'

कैसे होता था फर्जीवाड़ा
इस पूरे मामले की जड़ मे लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू शामिल है। यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा मुहैया करा देते हैं। अब यदि खातेदार डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाए का भुगतान करे। पीएनबी की मुंबई की एक शाखा का एक कर्मचारी हीरा कंपनियों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग प्रदान करता था ताकि वे दूसरे बैंकों से सेक्योर ओवरसीज कर्ज हासिल कर सकें।
 

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