चुनावी वादे के तहत PM मोदी खोलेंगे 1 करोड़ नौकरियों का पिटारा

Tuesday, May 09, 2017 - 11:46 AM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में बेरोजगार युवाओं के सपने अब पूरे होने वाले हैं। 26 मई को मोदी सरकार तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है, जिसे देखते हुए अच्छे दिन के अपने वादों को पूरा करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा जोर देने में लगे हुए हैं। पी.एम. मोदी ने सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया है कि कैबिनेट को भेजे जाने वाले सभी प्रस्तावों में यह जानकारी जरूर उपलब्ध कराई जाए कि उन प्रस्तावों पर अमल करने से रोजगार के कितने मौके युवाओं को मिलेंगे।

ये है ऐक्शन प्लान
दरअसल 2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने युवाओं को 1 करोड़ रोजगार के अवसर देने का वादा किया था। हालांकि, बीते तीन सालों में रोजगार देने के मामले में मोदी सरकार का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। आर्थिक वृद्धि के साथ रोजगार के मौके बनने की रफ्तार बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने तीन साल का एक ऐक्शन प्लान पेश किया है, जिसमें विभिन्न सेक्टरों में रोजगार सृजित करने की बात की गई है। सी.आई.आई. के अनुसार, वित्त वर्ष 2012 से 2016 के बीच भारत में रोजगार के 1.46 करोड़ मौके बने थे। यानी हर साल 36.5 लाख अवसर। कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में 8.41 करोड़ का इजाफा हुआ, लेकिन वास्तिक श्रम बल में बढ़ौतरी केवल 2.01 करोड़ रही। कामकाजी उम्र वाली आबादी का 24 प्रतिशत हिस्सा श्रम बल में जुड़ा, जबकि 76 प्रतिशत हिस्सा इससे बाहर रहा।

ज्यादा रोजगार पैदा करना है सरकार का लक्ष्य
क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 लाख से ज्यादा लोग हर महीने देश के जॉब मार्कीट में रोजगार तलाशने आते हैं। वहीं, मानव श्रम पर निर्भरता घटाने वाले ऑटोमेशन की वजह से स्थिति गंभीर होती जा रही है। सरकार ज्यादा रोजगार पैदा करना चाहती है ताकि आमदनी बढ़े और लाखों लोग गरीबी के जाल से बाहर निकलें। सरकार अपनी मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी की भी समीक्षा भी कर रही है ताकि उसे रोजगार निर्माण के उद्देश्य के मुताबिक बदला जा सके।

ये कहा था PM मोदी ने 
पी.एम. मोदी ने इससे पहले कहा था- हमारे देश में करीब 65 फीसदी लोग 35 साल से कम की उम्र के हैं। हम देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं और हमारे पास एक बहुत ही बड़ा घरेलू बाजार है, जहां पर हम अपने उत्पाद को बेच सकते हैं। किसी भी देश के पास इतने मौके नहीं हैं, जितने हमारे देश के पास हैं। 

Advertising