PM आवास योजना ग्रामीण की स्पीड थमी, इस साल महज 0.06% मकान ही बन पाए
Tuesday, Oct 06, 2020 - 05:33 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इस साल बुरी तरह फ्लॉप होती नजर आ रही है। इस साल ग्रामीण भारत में पक्का मकान बनाने की संख्या अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस साल महज 0.06 फीसदी मकान ही बन पाए हैं। इसका अर्थ है कि 1,000 घरों में से सिर्फ 6 का ही निर्माण हो पाया है। इस योजना का संचालन करने वाले ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने डाटा में यह बात कही है। ऐसे में सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
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2022 तक 2.47 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य
सरकार ने इस साल 61.50 लाख पक्के घरों के निर्माण का लक्ष्य लिया था, लेकिन अब तक स्कीम के तहत 2880 घरों का ही निर्माण हो सका है। केंद्र सरकार ने 2022 तक 2.47 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा है, जिनमें से 1.21 करोड़ आवास दूसरे चरण में मार्च 2019 से मार्च 2022 के दौरान तैयार किए जाने हैं। हालांकि दूसरे राउंड में योजना पिछड़ती दिख रही है। अब तक सिर्फ 64 फीसदी घरों की मंजूरी मिली है, जबकि 54 फीसदी लाभार्थियों को ही पहली किस्त हासिल हुई है।
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सरकार ने बताई वजह
योजना के पिछड़ने को लेकर सरकार ने कहा है कि राज्यों की ओर से जिलों को टारगेट नहीं दिया गया है और इसके चलते यह स्थिति पैदा हुई है। आमतौर पर किसी भी योजना को लागू करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से आदेश दिया जाता रहा है। ऐसे में जिला स्तर पर टारगेट न दिए जाने के चलते योजना पिछड़ गई है।
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इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही लॉकडाउन लग जाने के चलते भी योजना पिछड़ गई है। इससे पहले फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में भी योजना की गति बीते सालों के मुकाबले धीमी थी। असम, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, नागालैंड, मिजोरम, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और मेघालय की परफॉर्मेंस फेस-2 में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम रही है। योजना के दूसरे पार्ट में राष्ट्रीय औसत 39 फीसदी का रहा है। ग्रामीण आवास योजना ने स्कीम के पिछड़ने को लेकर चिंता जताई है। योजना की समीक्षा के मुताबिक कुल 13 राज्यों का स्कीम के पिछड़ने में 33 फीसदी योगदान है। कुल 63,9153 आवास तैयार किए जाने थे, जिसमें से अकेले बिहार में ही 17,7,921 आवास नहीं बने हैं।