उपचुनाव नतीजों के बाद पैट्रोल-डीजल हो सकता है 4 रुपए सस्ता

Thursday, May 31, 2018 - 03:56 PM (IST)

नई दिल्लीः पैट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से लोगों में हाहाकार मची हुई है और मोदी सरकार को लोग कोस रहे हैं। मोदी सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों के नतीजों पर साफ दिखाई दिया यहां भाजपा और उसके सहयोगी दलों को हार का सामना करना पड़ा।मौजूदा समय में पैट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। सूत्रों के मुताबिक लोगों को राहत देने के लिए सरकार पैट्रोल-डीजल के मूल्य में 4-5 रुपए प्रति लीटर की कटौती करने पर विचार कर रही है।

समाधान ढूंढ रही सरकार
पिछले सप्ताह पैट्रोलियम मंत्री ध्रमेंद्र प्रधान ने संकेत दिया था कि मूल्यवृद्धि का दीर्घकालीन समाधान ढूंढने पर सरकार विचार कर रही है। अगर केंद्र सरकार की योजना सफल रही तो देश के अधिकांश भागों में तेल की कीमतों में 4-5 रुपए की कटौती हो सकती है। इसके तहत ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी पर कटौती की जाएगी और राज्य सरकारों को पैट्रोल-डीजल पर वैट घटाने के लिए राजी किया जाएगा। इसके साथ ही तेल कंपनियों को कहा जाएगा कि इसकी बिक्री की कमीशन पर कटौती की जाए।

तेल कंपनियों को भी देना होगा साथ
मोदी सरकार के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने इस योजना की विस्तृत जानकारी दी। उसने कहा कि केंद्र सरकार पैट्रोल-डीजल की बढ़ रही कीमतों से चिंतित है और इसमें शीघ्र ही कटौती की जा सकती है। यह महत्वपूर्ण बात है कि इसमें राज्य और तेल कंपनियों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी क्योंकि केंद्र अकेला सारा बोझ नहीं सहन कर सकता। केरल में वामपंथी सरकार ने पैट्रोल-डीजल की कीमतों में 1 रुपए की छूट देने की घोषणा की है।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
2016-17 के बास्केट में कच्चे तेल की औसतन कीमत 47.56 डॉलर प्रति बैरल थी जो 2017-18 में बढ़कर 56.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। मार्च में यह 63.80 डॉलर प्रति बैरल और अप्रैल में यह कीमतें बढ़कर 69.30 डॉलर प्रति बैरल हो गई। मौजूदा समय में तेल का कारोबार 75 डॉलर प्रति बैरल हो रहा है जो पिछले सप्ताह 80 डॉलर के उच्च स्चर से नीचे गिर गया जो तेल कंपनियों के लिए राहत साबित होगा। उच्च मूल्य से अधिकांश लोग प्रभावित हुए जिसके परिणामस्वरूप महंगाई बढ़ी। इस मूल्यवृद्धि से एनडीए को सरकार पर निशाना साधने का मौका मिला।

टैक्सों से कमाए जाते हैं करोड़ों रुपए
ईंधन की कीमतों में बढ़ौतरी का कारण टैक्स होता है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्स होते हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में पैट्रोल के खुदरा मूल्य का 25 फीसदी केंद्रीय टैक्स होता है जिसमें 21.2 फीसदी राज्यों का टैक्स जबकि 4.7 फीसदी डीलरों की कमीशन होती है। जब तेल की कीमतें कम होती हैं तो राज्य सरकार ड्यूटी बढ़ा देती है और इससे प्राप्त होने वाले राजस्व से विकास कार्यक्रमों के लिए फंड उपलब्ध कराया जाता है। सरकारी अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि लोगों का 1,20,000 करोड़ रुपए इन टैक्सों से कमाया जाता है। जब प्राईवेट कंपनियां देश में पूंजी निवेश करने की इच्छुक नहीं होती उस समय मोदी सरकार सार्वजनिक खर्चों को बढ़ाने के लिए जन वित्त नीति का प्रयोग करती है।

Supreet Kaur

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