'GST के दायरे में आया पेट्रोल-डीजल तो 75 रुपए प्रति लीटर तक आ सकते हैं भाव'
Friday, Mar 05, 2021 - 12:25 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः पेट्रोल और डीजल की महंगाई से आम लोगों की जेब हल्की हो रही है। देश के कई स्थानों पर तो पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के स्तर को पार कर गया। ऐसे में इसके भाव कम करने के लिए इसे जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) के दायरे में लाने का सुझाव दिया जा रहा है लेकिन यह केंद्र व राज्यों के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत है, जिसकी वजह से सरकारें इसे जीएसटी के दायरे में लाने से हिचक रही हैं।
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हालांकि एसबीआई की इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो केंद्र और राज्यों को राजस्व में जीडीपी के महज 0.4 फीसदी के बराबर करीब 1 लाख करोड़ की कमी आएगी। अगर जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को लाया गया तो देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपए और डीजल के भाव 68 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच जाएंगे। इस रिपोर्ट को एसबीआई की ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ सौम्या कांति घोष ने तैयार किया है।
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कटौती के बाद खपत बढ़ने से राजस्व की भरपाई
एसबीआई की रिसर्च टीम ने अपने आकलन में पाया कि अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो देश भर में इनके भाव में कमी की जा सकती है। इसके अलावा 75 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और 68 रुपए प्रति लीटर डीजल के भाव पर गणना करें तो केंद्र और राज्यों को राजस्व में बजट एस्टीमेट्स से सिर्फ 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आएगी जो जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर है।
राजस्व में कमी के आकलन में रिसर्च टीम ने कीमतों में कटौती के बाद बढ़ी खपत को भी गणना में लिया है यानी कि अगर कीमतों में गिरावट आती है तो जितनी खपत बढ़ेगी, उससे जीएसटी कटौती से राजस्व में गिरावट की भरपाई होगी।
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क्रूड ऑयल के भाव में उतार-चढ़ाव से इस तरह प्रभाव
एसबीआई की रिसर्च टीम के आकलन के मुताबिक प्रति बैरल क्रूड ऑयल के भाव में अगर 10 डॉलर की कमी होती है तो केंद्र और राज्यों के राजस्व में 18 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी, अगर पेट्रोल के भाव 75 रुपए और डीजल के भाव 68 रुपए पर स्थिर रखे जाते हैं यानी कि उपभोक्ताओं को क्रूड ऑयल में गिरावट का फायदा नहीं देने पर सरकार को यह बचत होगी।
इसके विपरीत अगर क्रूड ऑयल के भाव 10 डॉलर प्रति बैरल अधिक हो जाते हैं और पेट्रोल-डीजल के भाव नहीं बढ़ाए जाते हैं तो सरकार के राजस्व में सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी होगी। ऐसे में एसबीआई की रिसर्च टीम ने सुझाव दिया है कि सरकार को एक ऑयल स्टैबिलाइजेशन फंड तैयार करना चाहिए जिसका इस्तेमाल क्रूड ऑयल के भाव बढ़ने पर बिना कंज्यूमर्स पर भार डाले रेवेन्यू लॉस की भरपाई करने में किया जा सकता है।