पेट्रोल-डीजल की कीमत में हो सकती है कटौती, पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव ने दिया ये हिंट
punjabkesari.in Thursday, Sep 12, 2024 - 04:43 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों के लिए अच्छी खबर है। सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती कर सकती है लेकिन इसके लिए उसने एक कंडीशन रखी है। पैट्रोलियम एंड नैचुरल गैस मिनिस्ट्री में सचिव पंकज जैन ने कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है, तो तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी पर विचार कर सकती हैं।
कच्चे तेल की कीमत 3 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। इससे ऑयल मार्कीटिंग कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत में कटौती की जा सकती है।
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70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आया कच्चा तेल
मंगलवार को ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई। दिसंबर 2021 के बाद पहली बार कच्चा तेल इस स्तर पर आया है। ग्लोबल इकॉनोमी की ग्रोथ धीमी पड़ने से तेल की मांग में कमी आने की आशंका है। इस कारण कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है। इससे ऑयल मार्कीटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ है।
देश में 90 प्रतिशत मार्कीट पर सरकारी तेल कंपनियों का कब्जा है। इनमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पैट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCl) और हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCl) शामिल हैं। इस साल आम चुनाव से ठीक पहले 14 मार्च को सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कमी की थी।
अभी कितनी है कीमत
पेट्रोल की कीमतों को 2010 में ग्लोबल मार्कीट की कीमतों से जोड़कर नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया था। साल 2014 में डीजल की कीमत को भी नियंत्रण मुक्त कर दिया गया था। कई राज्यों में पैट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा है, जबकि डीजल का रेट भी 90 रुपए प्रति लीटर से ऊपर है। पेट्रोल-डीजल के महंगे होने से हर चीज की कीमत प्रभावित होती है।
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अगर सरकार कीमत घटाने का फैसला करती है तो इससे महंगाई में भी कमी आ सकती है। पैट्रोलियम सैक्रेटरी ने कहा कि भारत चाहता है कि ओपेक+ देश उत्पादन बढ़ाए क्योंकि भारत जैसे कई देशों में मांग बढ़ रही है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। देश अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है।
सचिव ने कहा कि भारतीय कंपनियां रूस सहित उन देशों से ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदने को तैयार हैं जहां कीमत कम है। भारतीय रिफाइनर कंपनियां रूसी कच्चे तेल का आयात कर रही हैं क्योंकि वह छूट दे रहा है। यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से भारत का आयात एक फीसदी से भी कम था जो इस फाइनैंशियल ईयर के पहले 5 महीनों में बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया है। उसने इराक, सऊदी अरब, यू.ए.ई. और अमरीका को कहीं पीछे छोड़ दिया है।