रामदेव के विज्ञापन का FSSAI ने निकाला ''तेल''

punjabkesari.in Tuesday, Jun 07, 2016 - 04:19 PM (IST)

नई दिल्लीः ग्रॉसरी प्रोडक्ट के बाजार में पूरी तरह रम गई पतंजलि अपने सरसों तेल का विज्ञापन बदलने वाली है। दरअसल विज्ञापन को लेकर फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफ.एस.एस.ए.आई.) को वर्तमान के विज्ञापन से आपत्ति है। पतंजलि ने कहा है कि यदि उन पर दबाव बढ़ता है, तो वो विज्ञापन बदलने को तैयार है लेकिन पतंजलि ने यह भी साफ किया है कि अब तक उन्हें एफ.एस.एस.ए.आई. की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है। 

गौरतलब है कि पतंजलि के सरसों तेल के विज्ञापन को शिकायत एडिबल ऑयल कम्पनियों ने एफएसएसएआई में की थी।

पहले नहीं थी आपत्ति, SEA ने दिया तूल: पतंजलि
- पतंजलि आयुर्वेद के स्‍पोक्‍सपर्सन एसके तिजारवाला ने कि सरसों तेल के विज्ञापन को लेकर एफ.एस.एस.ए.आई. को पहले तो कोई आपत्ति नहीं थी।
- मामले को एडिबल ऑयल कम्पनियों की संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ने तूल दे दिया। 
- इसके बाद ही एफ.एस.एस.ए.आई. ने लाइसैंसिंग अथॉरिटी से कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा है। फिलहाल हमें अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है।

पतंजलि को देंगे एक मौका: FSSAI
- एफ.एस.एस.ए.आई. के इन्फोर्समेंट डिपार्टमेंट के डायरेक्‍टर आरसी शर्मा ने बताया कि इस मामले में पतंजलि को अपना पक्ष रखने का एक मौका मिलेगा। उनकी ओर से जवाब का इंतजार किया जाएगा।
- अगर विचार करने के बाद जवाब संतोषजनक नहीं होगा तो कार्रवाई आगे बढ़ेगी। यहां तक कि प्रोडक्ट बनाने का लाइसैंस भी कैंसल हो सकता है।

क्या है इस विवादित विज्ञापन का मामला
- विवाद पतंजलि के सरसों के तेल के विज्ञापन पर है, जिसमें कहा गया है कि कुछ तेल बनाने वाली कम्पनियां कच्ची घानी के लिए न्यूरोटॉक्सिक हेक्सागॉन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्रॉसेस का इस्तेमाल करती हैं।
- हेक्सॉन को सेहत के लिहाज से खतरनाक बताया गया है। वहीं कुछ कम्पनियां सरसों का तेल बनाने में सस्ते पाम ऑयल का इस्तेमाल करती हैं।
- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन का कहना है कि यह विज्ञापन भ्रामक है, इससे दूसरी कम्पनियों की साख पर असर पड़ सकता है।


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