खुशखबरी: 1 अगस्त से हवाई यात्रियों को मिलेगा ज्यादा रिफंड और हर्जाना

Saturday, Jul 30, 2016 - 11:42 AM (IST)

नई दिल्ली: हवाई टिकट रद्द कराने पर मिलने वाला रिफंड और उड़ान रद्द होने या बोर्डिंग से मना किए जाने पर यात्रियों को ज्यादा रिफंड और हर्जाना मिलेगा। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सिविल एविएशन रेगुलेशन (सीएआर) में संशोधन किया है, जो 01 अगस्त से लागू हो जाएंगे। नए नियमों के अनुसार, विमान सेवा कंपनियां कैंसिलेशन चार्ज के रूप में मूल किराया और ईंधन शुल्क से ज्यादा नहीं काट सकेंगी। 

उसके अनुसार, टिकट रद्द कराने/इस्तेमाल नहीं करने या यात्री के उड़ान छोड़ देने की स्थिति में विमान सेवा कंपनी सभी संवैधानिक कर तथा उपभोक्ता विकास शुल्क/हवाई अड्डा विकास शुल्क/यात्री सेवा शुल्क यात्रियों को वापस करेंगी। यह नियम सभी प्रकार के ऑफरों के तहत बुक कराए गए टिकटों पर भी लागू होगा, उन टिकटों पर भी जिनमें मूल किराया नॉन-रिफंडेबल है। इसके अलावा एयरलाइंस रिफंड प्रक्रिया के नाम पर प्रोसेसिंग शुल्क भी नहीं ले सकतीं।  

इसके अलावा सीट से ज्यादा बुकिंग करने और इसके बाद बोर्डिंग से मना कर देने पर अब एयरलाइंस को 20 हजार रुपए तक हर्जाना देना होगा। पहले यह सीमा चार हजार रुपए थी। हालांकि, उड़ान में देरी की स्थिति के लिए किसी तरह के हर्जाने का प्रावधान नहीं किया गया है। नियमों के अनुसार, यदि एयरलाइंस बोर्डिंग से मना करने के बाद एक घंटे के भीतर की दूसरी उड़ान में यात्री को सीट मुहैया करा देती है तो उसे कोई हर्जाना नहीं देना होगा। यदि तय समय से एक घंटे के बाद, लेकिन 24 घंटे से पहले के किसी उड़ान में वह सीट उपलब्ध कराती है तो मूल किराया और ईंधन सरचार्ज का 200 प्रतिशत हर्जाना देना होगा। हालांकि, यह राशि अधिकतम 10 हजार रुपए होगी। 

यदि वैकल्पिक उड़ान 24 घंटे के बाद उपलब्ध कराई जाती है तो उस स्थिति में हर्जाना मूल किराए और ईंधन सरचार्ज का 400 प्रतिशत होगा। यह हर्जाना राशि 20 हजार रुपए से अधिक नहीं होगी। यदि यात्री वैकल्पिक उड़ान में जाने के बजाय अपनी यात्रा रद्द करने का फैसला करता है तो उस स्थिति में मूल किराया एवं ईंधन सरचार्ज के योग का 400 प्रतिशत (अधिकतम 20 हजार रुपए) के जुर्माने के साथ टिकट की पूरी कीमत वापस करनी होगी। 

अपरिहार्य और विमान सेवा कंपनी की क्षमता से परे कारणों से हुई देरी के लिए कोई जुमार्ना नहीं देना होगा। उड़ान में देरी के लिए किसी तरह के हर्जाने की व्यवस्था नहीं है। 2 घंटे से 24 घंटे तक की देरी की स्थिति में यात्रियों को खाना और रिफ्रेशमेंट देने की जिम्मेदारी एयरलाइंस की तय की गई है जबकि इससे अधिक की देरी में उनके ठहरने की व्यवस्था भी उसे करनी होगी। अपरिहार्य कारणों से हुई देरी की स्थिति में एयरलाइंसों को इससे भी छूट दी गई है।  

उड़ान रद्द होने की स्थिति में एयरलाइंस की जिमम्मेदारी होगी कि वह कम से कम दो सप्ताह पहले यात्री को इसकी सूचना दे। साथ ही वह यात्री की इच्छा अनुसार या तो उसे रिफंड दे या दूसरी उड़ान में बुकिंग दे। यदि विमान सेवा कंपनी दो सप्ताह पहले सूचना नहीं दे पाती है, लेकिन कम से कम 24 घंटे पहले यात्री को इसके बारे में बता देती है तो उसे पहले की उड़ान के तय समय से दो घंटे की भीतर जाने वाली फ्लाइट में सीट उपलब्ध करानी होगी। 

यदि किसी यात्री को इसके बारे में सूचना नहीं दी गई है तो एक घंटे तक की उड़ान के लिए यात्री को एक तरफ का मूल किराया और ईंधन सरचार्ज का योग (अधिकतम पाँच हजार रुपये) हर्जाने के रूप में मिलेगा। एक घंटे से दो घंटे की फ्लाइट के लिए अधिकतम हर्जाना 7,500 रुपए तथा दो घंटे से ज्यादा की फ्लाइट के लिए 10 हजार रुपए होगा। यात्री द्वारा टिकट बुक कराते समय पर्याप्त संपर्क सूचना नहीं मुहैया कराए जाने की स्थिति में एयरलाइंस को हर्जाना नहीं देना होगा।

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