कम किराए से यात्री बढ़े, लेकिन ईंधन कीमतों से एयरलाइंस बेहाल

Sunday, Dec 30, 2018 - 10:05 AM (IST)

नई दिल्ली: जैट फ्यूल की बढ़ी कीमतें, मुनाफे में कमी और वित्तीय परेशानी जैसी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद देश के नागरिक विमानन क्षेत्र में साल 2018 में अच्छी बढ़ौतरी दर्ज की गई। हालांकि उच्च ईंधन कीमतों और उच्च प्रतिस्पर्धा के चलते किराया कम रखने के कारण एयरलाइनों के मुनाफे में गिरावट डॉलर के खिलाफ रुपए के गिरने और उच्च ब्याज दरों के कारण और अधिक बढ़ गई। 

एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ए.टी.एफ.) में जनवरी-दिसम्बर 2018 में साल-दर-साल आधार पर 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि इसी अवधि में रुपया डॉलर के खिलाफ औसतन 5 प्रतिशत गिर गया। उद्योग पर्यवेक्षकों के मुताबिक ईंधन कीमतों में वृद्धि से भारतीय विमानन कम्पनियां खासतौर से प्रभावित होती हैं क्योंकि इस मद में उनके परिचालन खर्च का 34 प्रतिशत तक खर्च होता है जबकि वैश्विक औसत 24 प्रतिशत है। रेटिंग एजैंसी आई.सी.आर.ए. ने इस उद्योग को नकारात्मक रेटिंग दी है। एजैंसी के उपाध्यक्ष (कॉर्पोरेट सैक्टर रेटिंग्स) किंजल शाह ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय विमानन उद्योग ए.टी.एफ . की बढ़ती कीमतें और डॉलर के खिलाफ रुपए के गिरने के कारण कठिन समय से जूझ रहा है। साथ ही प्रतिस्पर्धा के कारण किराया बढ़ाने में असमर्थता के कारण उद्योग का नुक्सान बढ़ा है। 

नागर विमानन महानिदेशालय (डी.जी.सी.ए.) के आंकड़ों के मुताबिक देश के घरेलू विमान यात्रियों की संख्या नवम्बर में 11.03 प्रतिशत बढ़कर 1.164 करोड़ रही जबकि जनवरी-नवम्बर की अवधि में इसमें 19.21 प्रतिशत की बढ़ौतरी दर्ज की गई। डी.जी.सी.ए. ने 21 दिसम्बर को जारी रिपोर्ट में कहा कि जनवरी-नवम्बर 2018 की अवधि में कुल 1,262.83 लाख यात्रियों ने हवाई सफर किया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह संख्या 1,059.34 लाख थी, जो 19.21 प्रतिशत की वृद्धि दर है। इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आई.ए.टी.ए.) के आंकड़ों में बताया गया कि अक्तूबर में देश के घरेलू विमान यात्रियों की आवाजाही में लगातार 50वें महीने 2 अंकों में वृद्धि दर दर्ज की गई है। 

 

Isha

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