संसदीय समिति ने कहा, डिफॉल्टरों के नामों का खुलासा किया जाए

punjabkesari.in Saturday, Dec 23, 2017 - 09:36 AM (IST)

नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से चिंतित एक संसदीय समिति ने एस.बी.आई. कानून सहित बैंकिंग कानून में संशोधन का सुझाव दिया है, जिससे समय पर कर्ज न चुकाने वाले लोगों (डिफॉल्टरों) के नामों का खुलासा किया जा सके। याचिका समिति की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों के लिए अपनी दबाव वाली संपत्तियों को कम करने और बही खाते को साफ सुथरा करने की जरूरत है।  इससे बैंकों की पूंजी जुटाने की क्षमता बढ़ेगी और उनकी विश्वसनीयता में इजाफा होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘समिति सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बढ़ते एनपीए पर अंकुश के लिए किए जा रहे सुधारात्मक उपायों की सराहना करती है।’’ समिति ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016, प्रतिभूतिकरण एंव वित्तीय आस्तियों का पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन (सरफेइसी) कानून और बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बकाया कर्ज की वसूली (आर.डी.डी.बी.एफ.आई.) कानून में संशोधनों का स्वागत किया है।

समिति का कहना है कि सरकार को पुराने पड़ चुके एस.बी.आई. कानून तथा अन्य ऐसे ही कानूनों में उचित संशोधन करने चाहिए ताकि डूबे कर्ज के लिए जिम्मेदार लोगों के नामों का खुलासा किया जा सके। समिति ने इस बात की सराहना की कि रिजर्व बैंक जानबूझकर चूककर्ताओं के बारे उपलब्ध सूचनाओं का खुलासा किए जाने के पक्ष में है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग और रिजर्व बैंक का मानना है कि अन्य डिफॉल्टरों के नाम सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि यह उनकी संकट में फंसी कारोबारी इकाइयों के पुनरोद्धार में बाधक होगा। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News