दिवालिया संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर, कंपनी की बोली में हिस्सा नहीं ले पाएंगे डिफाॅल्टर्स

Wednesday, Jan 03, 2018 - 11:10 AM (IST)

नई दिल्लीः जानबूझकर ऋण नहीं चुकाकर कंपनी को गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के दायरे में लाने वालों को किसी भी कंपनी की नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोकने से संबंधित विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। राज्यसभा ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा में इस विधेयक को पिछले सप्ताह पारित किया गया था। अब यह विधेयक दिवाला और शोधन अक्षमता (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा।

मजबूत बैंकिंग तंत्र की जरूरत
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिवाला और शोधन अक्षमता (संशोधन) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि यह नया कानून है इसलिए अभी बहुत सीखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बनाए गए इस कानून में जल्दी-जल्दी संशोधन नहीं आएगा लेकिन आवश्यकता पड़ने पर संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मजबूत बैंकिंग तंत्र की जरूरत है और इसलिए इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कानूनों में आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून के प्रभावी होने के बाद से 500 से अधिक मामले निपटाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि छोटे एवं मझौले उद्यम क्षेत्र के लिए एक समिति बनाई गई है और उसकी सिफारिशों के आधार पर या तो नया कानून बनेगा या इसी कानून में अलग से प्रावधान किया जाएगा।

कर्ज देने से पहले विचार करें बैंक
जेटली ने कहा कि अध्यादेश में भी मामूली संशोधन किया गया है और उसे संशोधित रूप में पारित करने के लिए पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने बड़ी कंपनियों के पास परिसपंत्तियां होने के कारण उन्हें गारंटर के आधार पर ऋण दिया गया था लेकिन ट्रेडिंग और ईपीसी कंपनियों को किस आधार पर ऋण दिया गया। इसलिए बैंकों को भी ऋण देने से पहले इस पर विचार करना चाहिए। 
 

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