पैन कार्ड के गलत इस्तेमाल से हो सकती है 7 साल की कैद

Saturday, Nov 28, 2015 - 02:59 PM (IST)

नई दिल्‍लीः पैन कार्ड नंबर सिर्फ इनकम टैक्‍स से जुड़ा दस्‍तावेज नहीं बल्कि हमारी वित्‍तीय पहचान होता है। वित्‍तीय लेनदेन में पैनकार्ड का इस्‍तेमाल अनिवार्य बनाया जा रहा है। पहचानपत्र के रूप में हर जगह अपने पैन कार्ड का इस्‍तेमाल करते हैं लेकिन क्‍या आपको पता है कि पैन नंबर का लापरवाही से किया गया इस्‍तेमाल आपको जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। आयकर कानून के तहत अगर टैक्‍स रिटर्न के असेसमेंट में पैन नंबर की जानकारी मैच नहीं होती या फिर टैक्‍स पेयर गलत जानकारी देने पर सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।

7 साल की कैद 
आयकर कानून की धारा 114बी के तहत एक निश्चित मूल्‍य से अधिक के वित्‍तीय लेन-देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है। अक्‍सर ऐसी खरीद के दौरान हम अपने पैन कार्ड का प्रयोग करने से बचते है या कभी हम गलत पैन नंबर भी डाल देते हैं लेकिन अगर टैक्‍स असेसमेंट के दौरान आयकर विभाग की नजर आप पर पड़ती है। तो यह चूक आप पर बहुत भारी पड़ सकती है। आयकर कानून के तहत यदि कोई व्‍यक्ति पैन कार्ड से जुड़ी गलत जानकारी उपलब्‍ध कराता है तो उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लग सकता है। वहीं इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय अगर आपने 25 लाख रुपए से ज्यादा अमाऊंट का विवरण नहीं दिया तो ऐसी स्थिति में 6 महीने से लेकर 7 वर्ष तक की सश्रम कारावास की सजा मिलती है।

सही दें पैन नंबर 
5 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने में (खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए) पैन नंबर बताना जरूरी है। इसके अलावा अगर आप 5 लाख रुपए से अधिक की ज्वैलरी खरीदते हैं तो भी टैक्‍स डिपार्टमेंट को पैन नंबर के माध्‍यम से जानकारी देनी होती है। इसके अलावा अगर आप होटल में ठहरे हुए है और उसका बिल 25 हजार रुपए से अधिक है तो बिल भुगतान के समय पैन अनिवार्य होता है। बड़े बड़े वित्तीय लेन-देन में पैन नंबर इसका इस्तेमाल होता है। इसमें किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए लेन-देन के बारे में सारी जानकारी होती है। पैन के जरिए टैक्स का भुगतान, टैक्स का आकलन, टैक्स की बकाया राशि आदि को कैल्कुलेट किया जाता है। साथ ही टैक्सपेयर का निवेश, कर्ज और अन्य व्यवसायिक गतिविधियों का भी पूरा कच्‍चा चिट्ठा पैन कार्ड से पता चल जाता है। आयकर विभाग इकसी मदद से टैक्स चोरी का पता लगा सकता है।

क्यों है पैन जरूरी
अगर आपने वित्तीय लेन-देन के दौरान पैन नहीं दिया तो उस स्थिति में रजिस्ट्री डिपार्मेंट आपकी लेन-देन की प्रक्रिया को वहीं रोक सकती है। वहीं यदि नौकरी के वक्‍त पैन कार्ड नहीं देते तो आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर 25 वर्षीय कार्तिक किसी कंपनी में काम कर रहा है और उसने अपना पैन नंबर नहीं दिया तो उसका टीडीएस 20 फीसदी कटेगा, भले ही उसकी टैक्सेबल इनकम 10 फीसदी ही क्यों न हो। टीडीएस की राशि को लेने के लिए भी रिटर्न दाखिल करना और पैन अनिवार्य होता है। पैन न होने की स्थिति में आप न तो रकम पा सकते हैं और न ही उस रकम के लिए टैक्स डिपार्मेंट में दावा कर सकते हैं।

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