पाकिस्तान को थमेगा कपास का निर्यात

punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2016 - 12:49 PM (IST)

मुंबईः पाकिस्तान को दिया हुआ सर्वाधिक पसंदीदा देश (एमएफएन) का दर्जा वापस लिए जाने की चर्चाओं के बाद निर्यातक अन्य देशों को कपास के निर्यात की योजना बना रहे हैं, जिससे पाकिस्तान को कपास का निर्यात थम सकता है। गौरतलब है कि भारत से पाकिस्तान को करीब 78.2 करोड़ डॉलर के कपास का निर्यात होता है। भारत ने 1996 में पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दिया था ताकि दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़ सके लेकिन पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा कभी नहीं दिया। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आज एक बैठक होनी थी, जिसमें पाकिस्तान को 20 साल से मिले हुए एमएफएन के दर्जे पर पुनर्विचार किया जाना था लेकिन इसे रद्द कर दिया गया और अब यह अगले सप्ताह होगी। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक भारत ने 2015-16 में करीब 20 लाख टन गांठ (1 गांठ में 170 किलोग्राम) कपास का पाकिस्तान को निर्यात किया था, जो भारत के कुल कपास निर्यात का करीब 10 फीसदी था। पाकिस्तान में फसल खराब होने के कारण 2015-16 में उसका आयात तेजी से बढ़ा था। 

मुंबई के एक कपास निर्यातक और भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के पूर्व चेयरमैन एम बी लाल ने कहा, 'पाकिस्तान में इस साल भी उत्पादन 20 लाख गांठ कम है, जो वह भारत से आयात करना चाहेगा। लेकिन अगर दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हुए तो भारत के लिए पाकिस्तान को कपास का निर्यात करना मुश्किल होगा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की कपड़ा मिलों को अमरीका से कपास का आयात करना पड़ेगा, जो उनके लिए महंगा साबित होगा।' 

भारत में कपास की सरप्लस उपलब्धता के कारण देश से निर्यात पर शुल्क नहीं है। वहीं पाकिस्तान को एमएफएन के दर्जे के तहत निर्यात में वरीयता दी जाती है। हालांकि अब भारत पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लेने का मन बना रहा है, इसलिए भारतीय कपास निर्यातक बांग्लादेश, चीन, ताइवान आदि देशों को निर्यात की योजना बना रहे हैं। मुंबई के एक कपास निर्यातक अरुण सकसेरिया ने कहा, 'हम चाहेंगे कि भारत पाकिस्तान के साथ हर तरह का कारोबार बंद कर दे। जब भारत को बुधवार रात पाकिस्तान इलाके में सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला लेना पड़ा तो कारोबारी संबंधों की क्या जरूरत है। हमने पाकिस्तान को कपास का निर्यात बंद करने का फैसला किया है। भारत के पास कपास निर्यात के लिए बहुत से विकल्प हैं।'

इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए भारतीय कपास कारोबारियों ने इस्लामाबाद में 30 अक्तूबर से 4 नवंबर तक होने वाले अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (आईसीएसी) के 75वें महाधिवेशन में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। पाकिस्तान को 55 साल के बाद इस सालाना आयोजन की मेजबानी का मौका मिला था। इससे पहले पाकिस्तान ने 1951 में आईसीएसी की बैठक की मेजबानी की थी। इस कार्यक्रम में जाने की योजना बनाने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हां, सरकार द्वारा पाकिस्तान में दक्षेस की बैठक का बहिष्कार किए जाने के फैसले के बाद हमने इस सत्र में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय किया है।' आईसीएसी की बैठक में 48 देशों के 400 प्रतिनिधि हिस्सा लेने का अनुमान था, जिसमें से भारतीय प्रतिनिधियों के पंजीकरण 10 फीसदी अनुमानित हैं। 


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