डर के मारे 2,100 कंपनियों ने चुका दिए 83,000 करोड़ रुपए के बैंक लोन

Wednesday, May 23, 2018 - 05:06 PM (IST)

नई दिल्लीः केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आई.बी.सी.) कानून में संशोधनों को आज हरी झंडी दे दी। जान-बूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वाले कंपनियों के प्रमोटरों ने अपनी-अपनी कंपनी खोने के डर से 83,000 करोड़ रुपए का बकाया चुका दिया। इससे पहले कि आई.बी.सी. के तहत कार्रवाई शुरू हो जाए।



2,100 कंपनियों ने बैंकों का लोन वापस किया
कंपनी मामलों के मंत्रालय की ओर से जुटाए आंकड़े बताते हैं कि 2,100 से ज्यादा कंपनियों ने बैंकों का लोन वापस कर दिया है। इनमें ज्यादातर ने आई.बी.सी. में संशोधन के बाद बैंकों का बकाया चुकाया। सरकार ने आई.बी.सी. में संशोधन करके उन कंपनियों के प्रमोटरों को नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एन.सी.एल.टी.) की ओर से कार्रवाई शुरू हो जाने के बाद नीलाम हो रही किसी कंपनी के लिए बोली लगाने पर रोक लगा दी गई जिसे दिया गया लोन बैंकों को नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) घोषित करनी पड़ी। ध्यान रहे कि जब लोन की ईएमआई 90 दिनों तक रुक जाए तो उसे एनपीए घोषित कर दिया जाता है। 



उद्योग जगत ने कड़ा विरोध किया 
आई.बी.सी. में संशोधन का उद्योग जगत ने कड़ा विरोध किया क्योंकि एस्सर ग्रुप के रुइया, भूषण ग्रुप के सिंघल और जयप्रकाश ग्रुप के गौड़ जैसे नामी-गिरामी औद्योगिक घरानों को रेजॉलुशन प्रोसेस में भाग लेने से रोक दिया गया। एक आशंका यह भी थी कि बड़े पैमाने पर कंपनियों अयोग्य घोषित कर दिए जाने के कारण नीलाम हो रही कंपनियों के लिए बड़ी बोलियां नहीं लग पाएंगी, जिससे बैंकों को अपने लोन का छोटा हिस्सा ही वापस मिल सकेगा। 



इसके जवाब में सरकार ने कहा कि प्रमोटरों को बैंकों को चूना लगाकर अपनी ही कंपनी औने-पौने दाम में वापस पाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, सरकार ने बैंकों का बकाया चुकाने वाले प्रमोटरों को बोली लगाने की अनुमति जरूर दे दी।

jyoti choudhary

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