नैस्ले पर नई आफत, पास्ता में ज्यादा लेड

Saturday, Nov 28, 2015 - 09:46 AM (IST)

मउः मैगी नूडल्स के बाद नैस्ले को उसके पास्ता को लेकर नया झटका लग सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार की खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में कंपनी के ''पास्ता'' उत्पाद के नमूनों में सीसे की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई गई। मउ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के विशेष अधिकारी अरविंद यादव ने बताया कि गत 10 जून को नैस्ले के एक स्थानीय उत्पाद वितरक श्रीजी ट्रेडर्स के यहां से पास्ता के नमूने लिए थे, जिन्हें जांच के लिए लखनऊ स्थित राजकीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में भेजा गया।   

अधिकारी के अनुसार रिपोर्ट में इन उत्पादों के नमूने जांच में असफल रहे। इनमें सीसे की मात्रा 6 पीपीएम पाई गई जबकि स्वीकार्य मात्रा 2.5 पीपीएम है।  

हालांकि कंपनी ने कहा कि उसके उत्पाद खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। नैस्ले इंडिया ने एक बयान में कहा, "कंपनी यथाशीघ्र मामले के समाधान के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेगी।"

यादव ने कहा, "मैगी के बाद मैक्रोनी पास्ता के नमूने को मउ से लिया गया था और लखनऊ स्थित राष्ट्रीय खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला भेजा गया। जांच में सीसे की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक पाई गई।" अधिकारी के अनुसार, "दो सितंबर को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नमूने परीक्षण में विफल रहे।"

अरविंद यादव ने बताया कि इस बाबत नैस्ले इंडिया लिमिटेड को मोदीनगर के पते पर एक पत्र भेजा गया था जो ''बिना पावती'' के वापस आ गया। यादव ने इस पत्र को संवाददाताआें को भी दिखाया। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने नैस्ले इंडिया को पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट के खिलाफ अपील के लिए एक महीने का समय दिया था लेकिन कंपनी ने पत्र प्राप्त नहीं किया और यह वापस लौट आया।  

अधिकारी ने कहा, "इस रिपोर्ट के आधार पर यह खाद्य उत्पाद अब ''असुरक्षित खाद्य उत्पाद'' की श्रेणी में आ गया है। उन्होंने कहा इस संबन्ध में खाद्य सुरक्षा आयुक्त लखनऊ को मुकद्दमें की सिफारिश के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। सिफारिश मिलने पर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत में मुकद्दमा दायर किया जाएगा। एक सवाल पर अधिकारी ने कहा कि इससे नैस्ले पास्ता की बिक्री पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।  

गौरतलब है कि इस साल मई-जून में नैस्ले के मशहूर उत्पाद ''मैगी'' के मसाले में अनुमति योग्य मात्रा से ज्यादा सीसा तथा स्वास्थ्य के लिए अन्य हानिकारक तत्व पाए जाने पर उसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी गई थी। इससे कंपनी को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 

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