SC का आदेश, सिंह ब्रदर्स को जापानी कंपनी को देने होंगे 3,500 करोड़ रुपए

Saturday, Feb 17, 2018 - 02:43 PM (IST)

नई दिल्लीः फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रमोटरों मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को जापानी कंपनी को 3,500 करोड़ रुपए अदा करने ही होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सिंह बंधुओं की दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।ट्रिब्यूनल ने सिंह बंधुओं को 2008 में रैनबैक्सी में अपनी 34% हिस्सेदारी दाइची सैंक्यो को बेचते समय महत्वपूर्ण तथ्य छिपाने और गलत आंकड़े पेश करने का दोषी पाया था। सिंगापुर के एक ट्रिब्यूनल ने सिंह बंधुओं से 3,500 करोड़ रुपए बतौर जुर्माना जापानी कंपनी दाईची सैंक्यो को अदा करने को कहा था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मोहर लगा दी है।

इन आरोपों में घिरे है सिंह ब्रदर्स
जापान की दवा कंपनी ने दलील दी थी कि मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने 2008 में रैनबैक्सी बेचते समय उससे कई जानकारियां छिपाई थीं। 2013 में कंपनी अमेरिका में मिलावटी दवाएं बेचने और गलत आंकड़े वितरित करने की दोषी पाई गई थी। उसे 50 करोड़ डॉलर का भुगतान करना पड़ा था। बाद में दाइची से सन फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने रैनबैक्सी का अधिग्रहण कर लिया था।

फैसले के बाद दे दिया था इस्तीफा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दाइची सानकयो के पक्ष में जारी 3500 करोड़ रुपए के पंचनिर्णय को सही ठहराया था जिसके बाद  फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रमोटरों मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। मलविंदर ने फोर्टिस हेल्थकेयर के एग्जिक्युटिव चेयरमैन के पद से और शिविंदर सिंह ने नॉन-एग्जिक्युटिव वाइस चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया था।

सिंह ब्रदर्स ने सिंगापुर में भी दायर की है याचिका
सिंह ब्रदर्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में दलील दी थी कि भारतीय कानून के तहत आर्बिट्रल अवार्ड को लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कोर्ट ऑफ अपील ऑफ सिंगापुर में भी इस अवार्ड को अलग से चुनौती दी थी। 

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