प्‍याज किसानों पर संकट जारी, आधी कीमत पर बेचने को हुए मजबूर

Saturday, Mar 25, 2017 - 10:40 AM (IST)

नई दिल्लीः मंडियों में नई प्‍याज की आवक शुरू हो गई है लेकिन किसानों को वाजिब दाम नहीं मिल पा रहे हैं। हालात यह है कि किसान लागत से आधी कीमत पर प्‍याज बेचने को मजबूर हैं। एशिया की सबसे बड़ी प्‍याज मंडी लासलगांव में शुक्रवार को प्‍याज के दाम 400 रुपए से 550 रुपए प्रति क्विंटल पर रहे। किसानों और जानकारों के मुताबिक प्‍याज का यह स्‍तर 5 साल में सबसे कम है। यही नहीं पिछले साल की तरह इस साल भी किसानों ने प्‍याज को जलाने, खेत में जोतने जैसे आंदोलन भी शुरू कर दिए हैं।

लागत से आधी कीमत 
मौजूदा समय में एक क्विंटल प्‍याज उगाने में किसानों का 900 से 950 रुपए प्रति क्विंटल का खर्च आ रहा लेकिन, मंडी में दाम महज 400 से 550 रुपए बिक रही है जोकि लागत का सिर्फ आधा ही बैठता है। ऐसे में प्‍याज किसानों ने फिर से आंदोलन करना शुरू कर दिया है। वेजेटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष श्रीराम गढावे ने बताया यदि यही हालात रहे तो किसानों को इस बार करीब 200 करोड़ रुपए से भी अधिक का नुकसान होने की आशंका है।

प्याज की फसल रही बेहतर
20 हजार क्विंटल हो रही आवक लासलगांव कृषि उत्‍पादन मंडी समिति के चेयरमैन जयदत्‍त होल्‍कर ने बताया कि इस वक्‍त मंडी में उना और लाल प्‍याज की नई फसल की आवक हो रही है। मंडी में प्रतिदिन 20 हजार क्विंटल की आवक हो रही है। हालांकि, यह स्‍तर पिछले साल से बेहद कम है। इस साल महाराष्‍ट्र राज्‍य में प्‍याज की फसल करीब 20 फीसदी कम क्षेत्रफल पर हुई है। लेकिन, मौसम अच्‍छा होने के चलते पैदावार बेहतर हुई है। यही कारण है कि प्‍याज के दाम इस बार भी बेहद कम मिल रहे हैं।

इस साल उत्पादन रहा 2 करोड़ टन
2 करोड़ टन उत्‍पादन होने की उम्‍मीद पिछले साल महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान तीनों राज्‍यों में प्‍याज का बेहतर उत्‍पादन हुआ था। जबकि, महाराष्‍ट्र राज्‍य में अधिकतर इलाके सूखे की चपेट में थे। बावजूद इसके पिछले साल प्‍याज उत्‍पादन करीब 197 लाख टन हुआ था। पिछले साल इन राज्‍यों में औसत उत्‍पादन भी 16 टन से बढ़कर करीब 17 टन प्रति हेक्‍टेयर हो गया था। चूंकि, इस साल मौसम फसलों के अनुकूल हुआ है सो उत्‍पादन इस साल भी 2 करोड़ टन के आसपास ही माना जा रहा है।

गोदामों की कमी के चलते बने हालात 
दरअसल, देश में प्‍याज को स्‍टोर करने के लिए गोदामों की बेहद कमी है। पिछले साल सरकार प्रत्‍येक राज्‍य को अपने स्‍तर से गोदाम बनाने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन, इतने बड़े इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में कई साल लग जाएंगे। लिहाजा स्टोरेज और प्रोसेसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के अभाव में किसान व्यापारियों को उनकी मर्जी के दाम पर प्याज बेचने को मजबूर हैं।

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