तेल उत्पादन 3.3% घटा, इंपोर्टेड क्रूड के आसरे देश

Wednesday, Oct 10, 2018 - 11:11 AM (IST)

नई दिल्लीः तेल उत्पादन में इस साल कमी देखने को मिली है। इससे आयात पर निर्भरता बढ़ी है। रुपए में कमजोरी और तेल के दाम में तेजी आने से सरकार को इसके आयात पर अधिक डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच ऑइल प्रॉडक्शन साल भर पहले की इसी अवधि की तुलना में 3.3 फीसदी कम होकर 14.6 मिलियन मीट्रिक टन रह गया। इस वजह से देश को अपनी जरूरत का 83.2 फीसदी तेल आयात करना पड़ रहा है।

पिछले 7 वर्षों से देश का तेल उत्पादन या तो ठहरा हुआ है या इसमें गिरावट आई है। उसकी वजह यह है कि देश की ऑइल फील्ड्स पुरानी हो गई हैं। इनका मैनेजमेंट भी ठीक से नहीं हो रहा है और पॉलिसी संबंधी दिक्कतों का भी ऑइल प्रॉडक्शन पर बुरा असर पड़ा है। 2011-12 के बाद तेल उत्पादन में गिरावट की वजह से आयात पर देश की निर्भरता 75.6 फीसदी से बढ़कर 83.2 फीसदी पहुंच गई। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तेल का आयात कम करने की योजना के उलट है। मोदी सरकार ने 2022 तक कच्चे तेल के आयात को 10 फीसदी कम करके 68 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है। 

भारत ने तेल के आयात पर वित्त वर्ष 2017-18 में 88 अरब डॉलर खर्च किए थे। इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच वह 49 अरब डॉलर इस पर खर्च कर चुकी है। क्रूड का दाम 85 डॉलर प्रति बैरल होने की वजह से देश की रिफाइनरी कंपनियों को आयात पर अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है। इस बीच, मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 74 के रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच गया। रुपए में कमजोरी से उनकी परेशानी और बढ़ी है। इसकी कीमत आम लोगों को भी चुकानी पड़ रही है। पेट्रोल और डीजल के दाम रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद हाल में सरकार को इन पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती करनी पड़ी थी।  
 

jyoti choudhary

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