तेल मिलों और व्यापारियों की माग, रिफाइंड पामोलिन तेल पर बढ़ाया जाए आयात शुल्क

Tuesday, Oct 02, 2018 - 05:58 PM (IST)

नई दिल्लीः तेल मिलों एवं व्यापारियों ने घरेलू खाद्य तेल उद्योग को बचाने के लिए पामोलिन तेल पर आयात शुल्क को बढ़ाने की मांग की है। उद्योग का कहना है कि घरेलू तेल मिलों के हित में कच्चे पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क के बीच 10 प्रतिशत के अंतर को बढ़ाकर 15 से 20 प्रतिशत किये जाने की आवश्यकता है।  पंजाब ऑयल मिलर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन ने कहा कि सरकार ने कच्चे पाम तेल के आयात पर 44 प्रतिशत और रिफाइंड पाम तेल के आयात पर 54 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है।

इस पर दस प्रतिशत का अधिभार भी लगाया गया है। आयात शुल्क में यह अंतर 10 प्रतिशत है। लेकिन मलेशिया सरकार द्वारा पाम तेल निर्यातकों को इसी अनुपात में सब्सिडी उपलब्ध करा दिये जाने की वजह से शुल्क अंतर का प्रभाव समाप्त हो गया और आयात फिर बढऩे लगा है। इससे घरेलू तेल रिफाइनरी मिलों को नुकसान हुआ है।   तेल मिलों के संगठन के मुताबिक सरकार को कच्चे तेल और रिफाइंड पामोलिन के बीच आयात शुल्क अंतर को 15 से 20 प्रतिशत कर देना चाहिये ताकि देश में रिफाइंड तेल का आयात कम हो। इससे घरेलू रिफाइंड मिलों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल हो सकेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

जैन ने कहा कि 1990 में देश खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर था। लेकिन नीतियों पर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण पिछले तीन दशक में देश में खाद्य तेल का आयात बढ़ता चला गया। उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों पर देश 80 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च करता है। यदि घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए शुल्क बढ़ाया गया तो इससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बचेगा।  देश में खाद्य तेलों का आयात हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। पाम तेल में उत्पादकता अधिक होने की वजह से इसकी लागत कम पड़ती है। एक हेक्टयेर पाम खेती से चार टन तक तेल निकलता है जबकि एक हेक्टयेर सरसों की खेती से 350 किलो सरसों तेल प्राप्त होता है।  

Isha

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