तेल कंपनियों ने विमान ईंधन पर करों को तर्कसंगत बनाने की राह में आने वाली बाधाओं को किया उजागर

Sunday, Sep 08, 2019 - 08:10 PM (IST)

नई दिल्लीः तेल विपणन कंपनी ने बिक्री कर जैसे मुद्दों का हवाला देते हुए कहा कि ये ममले हवाई अड्डों पर उलब्ध कराए जाने वाले विमान ईंधन पर अतिरिक्त शुल्कों को तर्कसंगत बनाने की नागर विमानन मंत्रालय की योजना की राह में बाधक बने हुए हैं। एयरलाइन कंपनियों को देश के हवाई अड्डों पर विमान ईंधन (एटीएफ) भरवाने पर अतिरिक्त शुल्क देना होता है।

अधिकारियों ने यह बात कही। वर्तमान में , एयरलाइन कंपनियों कुछ सेवाओं के लिए कर का भुगतान कर रही हैं। उन्हें किसी भी हवाई अड्डे पर एटीएफ भरवाने पर ' थ्रूपुट शुल्क ', ' इंटुप्लेन शुल्क ' और ' ईंधन अवसंरचना ' शुल्क देना पड़ता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा , " इन शुल्कों पर कई बार लगाया जाता है क्योंकि इनका बिल कई बार बनाया जाता है।"

एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि नागर विमानन मंत्रालय ने एयरलाइन कंपनियों और हवाई अड्डा परिचालकों के बीच सीधा बिलिंग तंत्र विकसित करने के लिए एक समिति गठित की है ताकि बार - बार लगने वाले करों को हटाया जा सके। इस समिति में एयरलाइंस कंपनियों , हवाई अड्डा परिचालक , तेल विपणन कंपनियों और अन्य सेवा प्रदाता इकाइयों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

सरकार के अनुमान के मुताबिक , यदि सीधे बिल कटने की व्यवस्था को अमल में लाया जाता है तो एयरलाइंस कंपनियों को सालाना करीब 400 करोड़ रुपये बचेगा। भारत में , किसी भी एयरलाइन के कुल खर्च का 40 प्रतिशत हिस्सा विमान ईंधन में जाता है। इसलिए विमान ईंधन पर किसी भी प्रकार के कर का कंपनियों पर गहरा असर पड़ता है।

अधिकारी ने कहा , " तेल विपणन कंपनियों ने हमें बताया है कि राज्य - स्तर पर बिक्री कर व्यवस्था के साथ उत्पाद कर व्यवस्था में कुछ प्रावधान हैं , जो सीधी बिलिंग प्रक्रिया को रोक सकता है। " अधिकारी ने कहा कि तेल कंपनियों राज्य सरकारें बिल पर लगने करों से होने वाली आय को खोना नहीं चाहेंगी। उन्होंने कहा कि समिति के जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।

मामले को समझाते हुए पहले अधिकारी ने कहा , " थ्रूपुट शुल्क के लिए बिल का उदाहरण लेते हैं। यह शुल्क तेल कंपनियों पर हवाई अड्डा परिचालक लगाते हैं। तेल कंपनियां इस शुल्क को एयरलाइंस के बिल में जोड़ती है। हालांकि , जटिल बिलिंग प्रक्रिया के कारण थ्रूपुट शुल्क पर जीएसटी और उत्पाद शुल्क और वैट जैसे करों को जोड़ा जाता है। " अधिकारी ने कहा कि यदि दिल्ली हवाई अड्डे पर परिचाल सिर्फ 100 रुपये का थ्रूपुट शुल्क लगाती है तो एयरलाइन कंपनी को ' कर पर कर ' के चलते 164 रुपये का भुगतान करना होता है। -

Yaspal

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