फर्जी इनकम बताकर टैक्स नहीं बचा पाएंगे NRI, सरकार ने कसा शिकंजा

Tuesday, Feb 18, 2020 - 11:06 AM (IST)

बिजनेस डेस्क: ‘स्टेटलैस पर्सन’ पर टैक्स लगाने की सरकार की कवायद कई आप्रवासी भारतीयों (एन.आर.आई) और उसके बीच चूहे-बिल्ली का खेल बन सकती है। इस टैक्स के असर के बारे में लोगों को जैसे-जैसे पता चल रहा है, वैसे-वैसे उनमें यह डर बैठ रहा है कि अगले साल से इंकम टैक्स डिपार्टमैंट एन.आर.आई. से ‘अवास्तविक’ विदेशी आमदनी पर सवाल कर सकता है। 

 

लगभग एक दशक से खासतौर पर 2015 में ब्लैक मनी एक्ट पास किए जाने के बाद कई भारतीय विदेश में छिपा कर रखे अघोषित फंड को वैध बनाने के लिए विदेश से ट्रेडिंग प्रॉफिट, कंसल्टैंसी फीस और भारी-भरकम वेतन के रूप में फर्जी इंकम जैनरेट करने के लिए एन.आर.आई. बने हैं। ऐसे लोगों का बुरा वक्त शुरू हो सकता है क्योंकि उन्हें अपनी इंकम को साफ करना होगा। बजट के एक दिन बाद जारी हुई सरकारी प्रैस रिलीज में आश्वासन दिलाया गया है कि बोनाफाइड वर्कर को विदेश में हुई कमाई पर टैक्स नहीं देना होगा। असल में यह दूसरे एन.आर.आई. के लिए इस बात का संकेत है कि उन्हें विदेश से हासिल भारी-भरकम आमदनी के बारे में सफाई देनी होगी।

 

अब तक टैक्स डिपार्टमैंट की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। फाइनांस बिल 2020 के मुताबिक जिन भारतीयों पर किसी दूसरे देश में टैक्स की देनदारी नहीं है उसे नागरिक माना जाएगा। ऐसे नागरिकों को विदेशी आमदनी पर टैक्स देना होगा और उन्हें विदेशी एसैट का डिस्क्लोजर देना होगा। सीनियर चार्टर्ड अकाऊंटैंट दिलीप लखानी कहते हैं कि विदेश में बोनाफाइड वर्कर की तरह विदेश में कमाई की थी, यह साबित करने की जिम्मेदारी अब करदाता पर होगी। यह सरकार की रिलीज के मुताबिक है लेकिन कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं। लेकिन सभी एन.आर.आई. बोनाफाइड वर्कर नहीं हैं। उन्हें बिजनैस इंकम के अलावा एग्जीक्यूटिव पोजीशन या फॉरेन जेवी का प्रोमोटर होने के नाते आमदनी होनी है। ऑब्जैक्टिव टैस्ट बिना बोनाफाइड शब्द मुश्किल पैदा कर सकता है। इससे कई मामलों में मुकद्दमेबाजी शुरू हो सकती है।

vasudha

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