एन आर नारायणमूर्ति बोले, कंपनी के खिलाफ शिकायत करना बदले की भावना नहीं

Monday, Sep 21, 2020 - 05:07 PM (IST)

नई दिल्ली: आईटी सेक्टर कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि अगर कोई व्हिस्ल ब्लोअर पुख्ता सबूत के साथ अपने दावों को रखता है तो इसे प्रतिशोध नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के 47वें नेशनल मैनेजमेंट कन्वेन्शन के दौरान यह बात कही। नारायणमूर्ति के अनुसार अगर कोई व्हिसिलब्लोवर बॉस के किसी बात को सबूत के साथ रखता है तो कंपनी को उसे पूरी सुरक्षा देनी चाहिए।

बता दें कि कोई व्हिसिब्लोअर अगर पारदर्शी रूप से शिकायत करता है तो कंपनी बोर्ड को चाहिए कि वह कंपनी की गरिमा को बचाएं और कर्तव्यों को पूरा करें। अगर किसी निचले व मध्य स्तर के कर्मचारी के खिलाफ कोई शिकायत सामने आती है तो इसके लिए आतंरिक कमेटी बनाकर सुलझाना चाहिए। इसके लिए उन सीनियर कर्मचारियों को शामिल करें जो आरोपी के संपर्क में नहीं है दावो की जांच के लिए यह पर्याप्त होना चाहिए।

बोर्ड खुद नहीं कर सकते फैसला
नारायणमूर्ति ने कहा कि अगर किसी चेयरमैन, सीईओ या एक्जीक्युटिव डायरेक्टर समेत अन्य बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ शिकायत आती है तो अमूमन अधिकतर बोर्ड मौजूदा नियम कानून के आधार पर इसकी जांच करते हैं। यह सहीं आइडिया नहीं है क्योंकि न्यायधीश, जूरी और अभियुक्त नहीं बन सकते।

इंफोसिस में पहले भी सामने आ चुके हैं मामले
साल 2018 में एक व्हिसिब्लोअर ने इंफोसिस के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सवाल उठाते हुए सह—संस्थापक नंदन निलेकणी पर कई आरोप लगाये थे। निलेकणी पर बोर्ड द्धारा गलत कामों को छुपाने व दबाने का आरोप लगाया गया था। इस बारे में शिकायतकर्ता ने ​भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी को पत्र भी लिखा था।

साल 2019 अक्टूबर में भी एक व्हिसिब्लोअर ने सीईओ सलिल पारेख और सीएफओ निलंजन रॉय पर अकाउंटिंग अनियमितताओं को लेकर आरोप लगाया था। आईटी कंपनी इस बारे में एक रिपोर्ट भी दर्ज की थी। हालांकि बाद में कंपनी को क्लीनचिट मिल गई थी।

rajesh kumar

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