NPA बढ़ने से मुनाफे पर दबाव!

Saturday, Apr 09, 2016 - 11:45 AM (IST)

मुंबईः मार्च तिमाही में सम्पत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा के दौरान बैंकों के खाते में एन.पी.ए. बढ़ने की संभावना है, लिहाजा इस तिमाही में इनके मुनाफे पर दबाव बना रह सकता है। 

रेलिगेयर की शोध रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि कर पश्चात बैंकों का मुनाफा वित्त वर्ष 2016 की चौथी तिमाही में साल दर साल के हिसाब से 22 फीसदी घटेगा और सराकरी बैंकों का कमजोर प्रदर्शन इसकी अगुआई करेगा। पुनर्गठन की नाकामी के चलते बढ़े एन.पी.ए. से सम्पत्ति की गुणवत्ता पर दबाव औऱ इजाफा होगा। अक्तूबर-दिसम्बर तिमाही में बैंकों को सम्पत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा करनी पड़ी थी और इससे इनके बैलेंस शीट पर दबाव नजर आया था। यह काम आर.बी.आई. के निर्देश पर किया गया था ताकि सुनिश्चित हो कि बैंक सक्रियता के साथ अपने कर्ज के पोर्टफोलियो को सही तरीके से वर्गीकृत को सही तरीके से वर्गीकृत कर रहा है और बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाने के लिए इस बाबत पूरा प्रावधान किया गया। इस कवायद के चलते सरकारी क्षेत्र के 15 बैंकों ने उस तिमाही में देसी परिचालन में नुक्सान दर्ज किया क्योंकि संदेहास्पद कर्ज के लिए प्रावधान में इजाफा करना पड़ा और जूबते कर्ज को बट्टे खाते में डालना पड़ा।

एंबिट कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि तिमाही दर तिमाही के आधार पर सकल गैर निष्पादित आस्तियों में 15 फीसदी का इजाफा होगा जबकि वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में तिमाही दर तिमाही के आधार पर 33 फीसदी का इजाफा हुआ था। दबाव वाली सम्पत्तियों के अन्य स्त्रोत मसलन एस.डी.आर. और 5/25 पुनर्वित्त के चलते बैंकिंग प्रणाली पर दबाव बढ़ना जारी रहेगा।  

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