रिकॉर्ड ही नहीं सपने भी तोड़ रहा रुपया

Monday, Oct 08, 2018 - 04:55 AM (IST)

नई दिल्ली: चालू वित्त वर्ष दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए में करीब 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। भारतीय रुपया ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों की करंसी में भी डॉलर के मुकाबले गिरावट देखने को मिल रही है। बीते डेढ़ महीने से डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। 

मौजूदा समय में तमाम एशियाई करंसी के मुकाबले रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी बन गया है। रुपया जहां खराब प्रदर्शन कर रहा है वहीं आयातकों-निर्यातकों, विदेशों में पढऩे या घूमने जाने वाले लोगों के सपने भी तोड़ रहा है। शुक्रवार को कारोबार के दौरान रुपया 74.24 के नए रिकॉर्ड स्तर पर फि सल गया था हालांकि अंतिम कारोबारी सत्र के बाद रुपए में हल्की रिकवरी देखने को मिली।

20 फीसदी तक महंगी हो सकती है विदेशों में पढ़ाई
डॉलर के मुकाबले रुपए में इस बड़ी कमजोरी के बाद अब विदेशों में पढऩे का सपना देखने वाले भारतीय युवाओं का सपना टूटते हुए दिखाई दे रहा है। रुपए की इस खराब हालत के बाद उन परिवारों के लिए चिंता बढ़ गई है जिनके बच्चे फि लहाल विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक यदि डॉलर के मुकाबले रुपया 78 से 79 के स्तर पर चला जाता है तो इससे विदेशों में पढ़ाई 20 फीसदी तक महंगी हो सकती है। फि लहाल अमरीका में एम.बी.ए. की पढ़ाई 5.5 लाख रुपए महंगी और स्नातक के कोर्स भी 2.5 से 3 लाख रुपए तक महंगे हो चुके हैं। 

पूर्वी देशों का रुख कर सकते हैं भारतीय युवा
पिछले 12 माह में पौंड 85.5 रुपए से बढ़कर 96.7 रुपए वहीं डॉलर 65.2 से 74.2 हो गया है। यूरो की बात करें तो यह भी 76.3 से 84.8 हो चुका है। सूत्रों के अनुसार अगर पश्चिमी देशों की करंसी के मुकाबले रुपए में ऐसे ही कमजोरी देखने को मिलती रही तो ऐसे में भारतीय युवा विदेशों में पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और हांगकांग की तरफ  रुख कर सकते हैं। कुछ कंसल्टैंट का मानना है कि रुपए की इस गिरावट से मौजूदा साल में विदेशों में पढऩे वाले युवाओं में कमी नहीं आएगी क्योंकि अधिकतर मां-बाप और युवा पहले ही अमरीका और यूरोपीय देशों में आगे पढ़ाई के लिए प्रतिबद्धता दे चुके हैं। 

निर्यातकों को फायदा, आयातकों को नुक्सान
गौरतलब है कि लगातार 3 दिनों तक चले मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में समीति ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया था जिसके बाद ब्याज दर अभी 6.50 फीसदी के स्तर पर बरकरार है। रुपए की इस गिरावट से एक तरफ  निर्यात करने वाले सैक्टर में रौनक देखने को मिल रही है तो वहीं आयात से भारत को बड़े नुक्सान का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल निर्यात करने पर डॉलर के मुकाबले अधिक रुपए मिल रहे हैं, वहीं आयात के लिए अधिक खर्च करना पड़ रहा है। आयात बिल व निर्यात बिल में अंतर बढऩे से रोजकोषीय घाटा भी बढ़ता जा रहा है।

Pardeep

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