नोएडा में 50 हजार से अधिक फ्लैटों के लिए रजिस्ट्री प्रक्रिया आसान बनाने का प्रस्ताव

Monday, Oct 24, 2016 - 11:44 AM (IST)

नई दिल्ली: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में तैयार हो चुके फ्लैटों के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एन.आे.सी) देने की एक त्वरित योजना का प्रस्ताव किया है। इससे इन फ्लैटों के खरीदारों को जल्द रजिस्ट्री कराने में मदद मिलेगी। करीब 50,000 फ्लैट खरीदारों को इसका फायदा मिलेगा। अनेक परियोजनाएं हैं जिनमें बिल्डर द्वारा विभिन्न बकायों का भुगतान नहीं किए जाने और परियोजना को पूरा करने में हो रही देरी के चलते खरीदारों को अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। 

नए प्रस्ताव के तहत समूची परियोजना के पूरा नहीं होने के बावजूद जो फ्लैट तैयार हो चुके हैं, उनके खरीदारों को एन.आे.सी दे दिया जाएगा ताकि वह रजिस्ट्री प्राप्त कर सकें। यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी के बाद अमल में आएगा। इसके तहत एेसे तैयार फ्लैटों की रजिस्ट्री के लिए बिल्डर द्वारा बकायों का आनुपातिक भुगतान और 10 प्रतिशत अधिभार चुकाने के बाद अनुमति दे दी जाएगी। यह योजना यदि सिरे चढ़ती है, तो अकेले ग्रेटर नोएडा में ही 20,000 फ्लैट मालिकों को तुरंत इसका लाभ मिलेगा। 

नोएडा में इससे भी अधिक फ्लैट हैं जो तैयार हो चुके हैं लेकिन एन.ओ.सी नहीं मिलने की वजह से उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। हालांकि, यमुना एक्सप्रेसवे में ऐसे फ्लैटों की संख्या कम है लेकिन कुल मिलाकर इन क्षेत्रों में एेसे फ्लैटों की संख्या 50,000 से अधिक हो जाएगी। कई मामले तो एेसे हैं कि खरीदार ने इन फ्लैटों में रहना भी शुरू कर दिया है लेकिन वह अपने फ्लैट के पंजीकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि बिल्डर की तरफ से परियोजना अभी पूरी नहीं हुई है और उसने प्राधिकरण के विभिन्न बकायों का भुगतान नहीं किया है।

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईआे दीपक अग्रवाल ने कहा, ‘‘तीनों प्राधिकरणों नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अब इसे उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी के बाद योजना अमल में आ जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि 17,000 से 20,000 लोगों को योजना का लाभ तुरंत उपलब्ध होगा क्योंकि ये फ्लैट पूरी तरह बनकर तैयार हैं। प्रस्ताव के तहत बिल्डर को पूरी परियोजना में जितने फ्लैट तैयार हो चुके हैं, समूची परियोजना के मुकाबले तैयार फ्लैट के लिए आनुपातिक देय राशि और 10 प्रतिशत अतिरिक्त अधिभार का भुगतान करना होगा। इसके बाद उन फ्लैट के लिए एन.ओ.सी उपलब्ध करा दिया जाएगा। मौजूदा नियमों के तहत परियोजना के तहत एन.ओ.सी तभी दिया जाता है जब पूरी परियोजना से जुड़े सभी तरह की देय राशि का भुगतान कर दिया जाता है। जिसमें जमीन और अन्य शुल्क शामिल हैं। 

प्राधिकरण के ताजा प्रस्ताव में एक फ्लैट के लिए भी बकायों का आनुपातिक तौर पर भुगतान किया जा सकता है और 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क देना होगा। बहरहाल, रियल्टी उद्योग में गतिविधियां कुछ धीमी हैं। उद्योग मंडल एसोचैम के एक ताजा सर्वे के मुताबिक देश भर में नई परियोजनाओं की मांग इस समय काफी निम्न स्तर पर है, जबकि नई परियोजनाएं भी काफी कम शुरू हो रही हैं। ग्राहकों में विश्वास की कमी और बिल्डरों के पास नकदी की तंगी से एेसी स्थिति बनी है।

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